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साँई कम्‍प्‍यूटर टायपिंग इंस्‍टीट्यूट गुलाबरा छिन्‍दवाड़ा म0प्र0 संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565

created Dec 5th, 10:49 by sandhya shrivatri


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एक समय की बात है, एक जंगल में सेब का एक पेड़ था। एक बच्‍चा रोज उस पेड़ पर खेलने आया करता था। वह कभी पेड़ की डाली से लटकता, कभी फल तोड़ता, कभी उछल कूद करता था, सेब का पेड़ भी उस बच्‍चे से काफ़ी खुश र‍हता था। कई साल इस तरह बीत गये। अचानक एक दिन बच्‍चा कहीं चला गया और फिर लौट के नहीं आया, पेड़ ने उसका काफी इंतजार किया पर वह नहीं आया। अब तो पेड़ उदास हो गया था। काफी साल बाद वह बच्‍चा फिर से पेड के पास आया पर वह अब कुछ बडा हो गया था। पेड उसे देखकर काफी खुश हुआ और उसे अपने साथ खेलने के लिए कहा। पर बच्‍चा उदास होते हुए बोला कि अब वह बड़ा हो गया है अब वह उसके साथ नहीं खेल सकता। बच्‍चा बोला की, अब मुझे खिलोने से खेलना अच्‍छा लगता है, पर मेरे पास खिलोने खरीदने के लिए पैसे नहीं है पेड बोला  उदास ना हो तुम मेरे फल (सेब) तोड लो और उन्‍हें बेच कर खिलोने खरीद लो। बच्‍चा खुशी-खुशी फल तोडके ले गया लेकिन वह फिर बहुत दिनों तक वापस नहीं आया। पेड बहुत दु:खी हुआ। अचानक बहुत दिनों बाद बच्‍चा जो अब जवान हो गया था वापस आया, पेड बहुत खुश हुआ और उसे अपने साथ खेलने के लिए कहा। पर लडके ने कहा कि, वह पेड के साथ नहीं खेल सकता अब मुझे कुछ पैसे चाहिए क्‍यूंकि मुझे अपने बच्‍चों के लिए घर बनाना है पेड बोला मैरी शाखाएं बहुत मजबूत हैं तुम इन्‍हें काट कर ले जाओं और अपना घर बना लो। अब लडके ने खुशी-खुशी सारी शाखाएं काट डाली और लेकर चला गया। उस समय पेड उसे देखकर बहुत खुश हुआ लेकिन वह फिर कभी वापस नहीं आया। और फिर से वह पेड अकेला और उदास हो गया था। अंत में वह काफी दिनों बाद थका हुआ वहा आया। तभी पेड उदास होते हुए बोला कि  अब मेरे पास ना फल है और ना ही लकड़ी अब में तुम्‍हारी मदद भी नहीं कर सकता। बूढा बोला, अब उसे कोई सहायता नहीं चाहिए बस एक जगह चाहिए जहॉं वह बाकी जिदंगी आराम से गुजार सके। पेड ने उसे अपनी जडो में पनाह दी और बूढा हमेशा वहीं रहने लगा। यही कहानी आज हम सब की भी है। मित्रों इसी पेड की तरह हमारे माता-पिता भी होते है। जब हम छोटे होते है, तो उनके साथ खेलकर बड़े होते हैं और बड़े होकर उन्‍हें छोड कर चले जाते हैं और तभी वापस आते हैं जब हमें कोई जरूरत होती है। धीरे-धीरे ऐसे ही जीवन बीत जाता है। हमें पेड़ रूपी माता-पिता की सेवा करनी चाहिए ना की सिर्फ उनसे फायदा लेना चाहिए। इस कहानी में हमें दिखाई देता है कि उस पेड के लिए वह बच्‍चा बहुत महत्‍वपूर्ण था, और वह बच्‍चा बार-बार जरूरत के अनुसार उस सेब के पेड़ का उपयोग करता था, ये सब जानते हुए भी की वह उसका केवल उपयोग ही कर रहा है। इसी तरह आज-कल हम भी हमारे माता-पिता का जरूरत के अनुसार उपयोग करते है। जो कि गलत है।  

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