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MY NOTES 247 जूनियर ज्‍यूडिशियल असिस्‍टेंट हिंदी मोक टाइपिंग टेस्‍ट

created Dec 4th, 01:51 by 12345shiv


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अपीलकर्ता को अब सहमति मूल्‍य को चुनौती देने की अनुमति देना राजस्‍व को एक असंभव स्थिति में डालना है क्‍योंकि माल अब निरीक्षण के लिए उपलब्‍ध नहीं है और राजस्‍व ने कारण बताओ नोटिस में सभी सबूतों आधार को इकट्ठा करने और संकलित करने के लिए आगे नहीं बढ़ना सही है क्‍योंकि ऐसा करने से, अपीलकर्ता द्वारा मूल्‍य वृद्धि के लिए सहमति देने और कारण बताओ नोटिस के लिए अनुरोध करने के बावजूद, माल की निकासी में उत्‍पीड़न और देरी के आरोप लग सकते थे। जब कारण बताओ नोटिस को स्‍पष्‍ट रूप से त्‍याग दिया जाता है और मूल्‍यांकन पर सहमति हो जाती है, तो प्राकृतिक न्‍याय के सिद्धांतों के उल्‍लंघन का आरोप नहीं लगाया जा सकता है। वर्तमान मामले में, जबकि मूल्‍य को चुनौती दी जा सकती है, लेकिन ऐसी चुनौती का कोई फायदा नहीं होगा क्‍योंकि माल उपलब्‍ध नहीं है और मूल्‍यांकन पहले ही सहमति से किया जा चुका है, अपीलकर्ता पर यह स्‍थापित करने का दायित्‍व होगा कि उसकी सहमति के अनुसार मूल्‍यांकन घातक दुर्बलता से ग्रस्‍त है और इस तरह के दायित्‍व का निर्वहन नहीं किया गया है। इसके अलावा, ऐसे माल के मूल्‍यांकन के लिए उनके भौतिक निरीक्षण की आवश्‍यकता होती है और इसलिए माल की अनुपस्थिति में मूल्‍य का पुनर्मूल्‍यांकन संभव नहीं होगा। अपीलकर्ता द्वारा उद्धृत आयशर ट्रैक्‍टर्स बनाम यूनियन ऑफ इंडिया (सुप्रा) का मामला यहां प्रासंगिक नहीं है क्‍योंकि उस मामले में ऐसा कोई सबूत नहीं था कि मूल्‍यांकनकर्ता ने मूल्‍य वृद्धि के लिए सहमति दी थी। सर्वोच्‍च न्‍यायालय ने आयशर ट्रैक्‍टर्स लिमिटेड में देखा, जिस निर्णय पर प्रतिवादी के विद्वान वकील ने भी भरोसा किया है, कि यह केवल तभी होता है जब मूल्‍यांकन नियमों के नियम के तहत लेनदेन मूल्‍य को अस्‍वीकार कर दिया जाता है कि लेनदेन मूलय को नियमों के माध्‍यम से क्रमिक रूप से आगे बढ़कर निर्धारित किया जाना आवश्‍यक है।

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