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साँई कम्‍प्‍यूटर टायपिंग इंस्‍टीट्यूट गुलाबरा छिन्‍दवाड़ा म0प्र0 संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565

created Nov 27th, 07:46 by lucky shrivatri


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एक बार गौतम बुद्ध एक गांव में पहुंचे जहां उन्‍हें एक अधेड़ उम्र का व्‍यक्ति मिला, जो बुद्ध के पास जाकर अपमानजनक बातें कहने लगा। वह गुस्‍से में चिल्‍लाते हुए बुद्ध को बुरा-भला कहने लगा। बुद्ध ने शांत स्‍वर में उसकी बातें सुनी और अपनी प्रतिक्रिया में केवल मुस्‍कुराए। जब वह व्‍यक्ति थककर चुप हो गया, तो बुद्ध ने उससे एक प्रश्‍न किया, यदि तुम किसी को कोई उपहार दो और वह उसे स्‍वीकार करे, तो उपहार किसके पास रहेगा? वह व्‍यक्ति हैरान होकर बोला, उपहार तो मेरे पास ही रहेगा। बुद्ध मुस्‍कुराते हुए बोले, ठीक इसी प्रकार यदि तुम मुझ पर गुस्‍सा कर रहे हो और मैं उसे स्‍वीकार करू, तो वह गुस्‍सा तुम्‍हारे पास ही रहेगा। यह सुनकर वह व्‍यक्ति सोच में पड़ गया और समझ गया कि उसके गुस्‍से का कोई लाभ नहीं। उसने बुद्ध से क्षमा मांगी और उनके उपदेशों को समझने की कोशिश की।  
इस कथा से यह सीखने को मिलता हैं कि किसी भी स्थिति में शांत रहना और अपने मन पर नियंत्रण रखना बहुत महत्‍वपूर्ण है। दूसरों के गुस्‍से या नकारात्‍मकता को स्‍वयं पर हावी होने देना ही सच्‍चा संतुलन और मानसिक शांति का मार्ग है।  

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