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MY NOTES 247 जूनियर ज्‍यूडिशियल असिस्‍टेंट हिंदी मोक टाइपिंग टेस्‍ट 15*

created Nov 25th, 01:52 by 12345shiv


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इस अधिनियम के तहत किसी भीआधार पर हिरासत का कोई आदेश नहीं दिया जाएगा, जिस आधार पर उस अधिनियम के तहत हिरासत का आदेश दिया जा सकता है। वास्‍तविक परिदृश्‍य में जो कुछ हुआ वह यह था कि राजस्‍व अधिकारी अपना बकाया वसूलने के लिए संपत्ति पर गए। हमने वास्‍तव में राज्‍य के वकील से पूछा कि क्‍या राजस्‍व अधिकारियों द्वारा अपना बकाया वसूलने के लिए एक संपत्ति से दूसरी संपत्ति पर जाने की कोई ऐसी प्रथा है। स्‍पष्‍टत: ऐसा नहीं है। याचिकाकर्ता के खिलाफ परिसर को बंद करने में बाधा डालने का प्रयास करने का आरोप था। हालांकि, बाद में जो जोड़ा गया वह यह था कि एक फोन कॉल पर उन्‍होंने अधिकारियों को धमकाया। उपरोक्‍त सभी तथ्‍यों को सही मानते हुए भी, घटना के संबंध में उक्‍त अधिनियम का प्रयोग चौंकान वाला रिट याचिका और अस्थिर है। इस तरह का प्रस्‍ताव बनाया गया, वरिष्‍ठ अधिकारी और यहां तक कि सलाहकार बोर्ड की सहमति प्राप्‍त हुई, यह उस तरीके को अच्‍छी तरह से नहीं दर्शाता है जिस तरह से अधिकारी उक्‍त अधिनियम के प्रावधानों को लागू करके अपने दिमाग का इस्‍तेमाल करते हैं। अधिनियम के उद्देश्‍य और कारणों के कथन को पढ़ने से पता चलता है कि इसका उद्देश्‍य अलगाववादी, सांप्रदायिक और जाति समर्थक तत्‍वों सहित असामाजिक और राष्‍ट्र विरोधी तत्‍वों को नियंत्रित करना था, जो समुदाय के लिए आवश्‍यक सेवाओं को प्रभावित करते हैं, जिससे एक गंभीर चुनौती उत्‍पन्‍न होती है। यह विशेष रूप से रक्षा, सुरक्षा सार्वजनिक व्‍यवस्‍था और समुदाय के लिए आवश्‍यक सेवाओं के संबंध में था, जिसके परिणामस्‍वरूप राष्‍ट्रीय सुरक्षा अध्‍यादेश, 1980 को लागू किया गया और अधिनियम को अध्‍यादेश की जगह लेना था। हमें हिरासत और हिरासत के विस्‍तार की इस शक्ति के प्रयोग के लिए मामले में कोई तत्‍व मौजूद नहीं मिला और बिना किसी आधार के उक्‍त अधिनियम के तहत कार्यवाही को पूरी तरह से रद्द करने में कोई हिचकिचाहट नहीं है।

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