Text Practice Mode
साँई कम्प्यूटर टायपिंग इंस्टीट्यूट गुलाबरा छिन्दवाड़ा म0प्र0 ( जूनियर ज्यूडिशियल असिस्टेंट के न्यू बेंच प्रारंभ) संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565
created Yesterday, 04:07 by Sai computer typing
4
303 words
210 completed
5
Rating visible after 3 or more votes
00:00
सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि देश की राजधानी दिल्ली में ग्रैप ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान के चौथे चरण के प्रतिबंध को उसकी अनुमति के बिना नहीं हटाया जाएगा। वायु गुणवत्ता प्रबंध आयोग ने रविवार को ही ग्रैप-4 के तहत प्रतिबंध लागू करने का ऐलान किया था। सुप्रीम कोर्ट के इस निर्देश से साफ है कि प्रदूषण की समस्या पर काबू पाने के सरकारी दावे कागजी ही साबित हुए है। प्रदूषण की समस्या पर जब समय रहते रोकथाम के उपाय नहीं होते तो बाद में यह गहरे संकट का रूप ले लेता है। दिल्ली ही नहीं बल्कि दिल्ली से सटे गाजियाबाद में भी ग्रैप-4 के प्रतिबंध लागू करना इसका ताजा उदाहरण है।
दिल्ली में एक्यूआइ इंडेक्स सुधारने की दिशा में कदम उठाने की मांग करने वाली याचिका की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो रही है। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट पहले भी प्रदूषण के मौजूदा हालात पर तल्ख टिप्पणियां कर चुका है। वायु प्रदूषण के लिए सड़कों पर दौड़ने वाहनों को जिम्मेदार मानते हुए दिल्ली में आवश्यक सेवाओं से जुड़े ट्रकों को छोड़कर भारी वाहनों का प्रवेश बंद किया गया है। वहीं एलएनजी, सीएनजी, इलेक्ट्रिक व बीएस-4 डीजल ट्रकों को ही प्रवेश की अनुमति, और स्कूलों में भी अधिकांशत: ऑनलाइन पढ़ाई व सरकारी दफ्तरों में पचास फीसदी कार्मिको को वर्क फ्रॉम होम जैसे प्रतिबंधों से समस्या का स्थायी समाधान होगा, ऐसा लगता नही। दरअसल समय रहते जरूरी उपाय कर लिए जाएं तो ऐसे सख्त कदमों की जरूरत ही नहीं पड़े। सीएनजी के लिए वाहनों की लम्बी कतारें व इलेक्ट्रॉनिक वाहनों (ईवी) के लिए चार्जिग पॉइट्स की कमी भी संकट बढ़ाने वाली है। वैसे भी ईवी खरीदने के लिए लोगों को प्रोत्साहित करने के प्रयास भी आधे-अधूरे ही है। अब तो राजधानी दिल्ली ही नहीं, बल्कि देश के बड़ शहर वायु प्रदूषण सूचकांक के मामले में खतरे के स्तर पर है।
दिल्ली में एक्यूआइ इंडेक्स सुधारने की दिशा में कदम उठाने की मांग करने वाली याचिका की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो रही है। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट पहले भी प्रदूषण के मौजूदा हालात पर तल्ख टिप्पणियां कर चुका है। वायु प्रदूषण के लिए सड़कों पर दौड़ने वाहनों को जिम्मेदार मानते हुए दिल्ली में आवश्यक सेवाओं से जुड़े ट्रकों को छोड़कर भारी वाहनों का प्रवेश बंद किया गया है। वहीं एलएनजी, सीएनजी, इलेक्ट्रिक व बीएस-4 डीजल ट्रकों को ही प्रवेश की अनुमति, और स्कूलों में भी अधिकांशत: ऑनलाइन पढ़ाई व सरकारी दफ्तरों में पचास फीसदी कार्मिको को वर्क फ्रॉम होम जैसे प्रतिबंधों से समस्या का स्थायी समाधान होगा, ऐसा लगता नही। दरअसल समय रहते जरूरी उपाय कर लिए जाएं तो ऐसे सख्त कदमों की जरूरत ही नहीं पड़े। सीएनजी के लिए वाहनों की लम्बी कतारें व इलेक्ट्रॉनिक वाहनों (ईवी) के लिए चार्जिग पॉइट्स की कमी भी संकट बढ़ाने वाली है। वैसे भी ईवी खरीदने के लिए लोगों को प्रोत्साहित करने के प्रयास भी आधे-अधूरे ही है। अब तो राजधानी दिल्ली ही नहीं, बल्कि देश के बड़ शहर वायु प्रदूषण सूचकांक के मामले में खतरे के स्तर पर है।
saving score / loading statistics ...