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साँई कम्प्यूटर टायपिंग इंस्टीट्यूट गुलाबरा छिन्दवाड़ा म0प्र0 ( जूनियर ज्यूडिशियल असिस्टेंट के न्यू बेंच प्रारंभ) संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565
created Nov 19th, 04:15 by lucky shrivatri
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उच्चतम न्यायालय द्वारा यह अभिनिर्धारित किया गया है कि जहां अभियोजन पक्ष यह सिद्ध करने में असफल रहता है कि अभियुक्त द्वारा प्रतिच्छादन किया गया था तथा परितोषण का संदाय किया गया था वहां अभियुक्त को दोषसिद्ध नहीं किया जा सकता। किसी व्यक्ति की किसी ऐसी जंगम संपत्ति के वापस करा लेने में जिससे इस संहिता के अधीन दंडनीय किसी अपराध द्वारा वह व्यक्ति वंचित कर दिया गया हो, सहायता करने के बहाने या सहायता करने की बाबत् कोई परितोषण लेगा या लेने का करार करेगा या लेने को सम्मत होगा, वह जब तक की अपनी शक्ति में के सब साधनों को अपराधी को पकड़ने के लिए और अपराध के लिए दोषसिद्धि कराने के लिए उपयोग में न लाए, दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दो वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से या दोनों से दंडित किया जाएगा। इस संबंध में एक महत्वपूर्ण मामला है इसमें परिवादी की भैंसें चोरी चली गई। अभियुक्त ने प्रतिवादी के समक्ष यह प्रस्ताव रखा कि यदि वह 200 रुपये दे और चोरों के विरुद्ध कार्यवाही न करे, तो वह उसकी भैंसेंं लौटा जाएगा और उसकी भैंसें उसे पुन: मिल जायेंगी। परिवादी ने इस प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया और पुलिस में रपट लिखा दी। यह धारण किया गया कि अभियुक्त इस धारा के अंतर्गत अपराध का दोषी था। जब किसी अपराध के लिए दोषसिद्ध या आरोपित व्यक्ति उस अपराध के लिए वैध अभिरक्षा में होते हुए ऐसी अभिरक्षा से निकल भागे, जब कभी कोई सेवक ऐसे लोकसेवक की विधिपूर्ण शक्तियों का प्रयोग करते हुए किसी अपराध के लिए, किसी व्यक्ति को पकड़ने का आदेश दे तब जो कोई निकल भागने के आदेश को या पकड़े जाने के आदेश को जानते हुए उस व्यक्ति का पकड़ा जाना निवारित करने के आशय से उसे संश्रय देगा या छिपाएगा वह निम्नलिखित प्रकार से दंडित किया जाएगा। यदि वह अपराध जिसके लिए वह व्यक्ति अभिरक्षा में था या पकड़े जाने के लिए आदेशित है, मृत्यु से दंडनीय हो तो वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि 7 वर्ष तक की हो सकेगी, दंडित किया जाएगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा। यदि वह अपराध आजीवन कारावास से या 10 वर्ष के कारावास से दंडनीय हो तो वह जुर्माने सहित या रहित, दोनों मेंं से किसी भांति के कारावास से जिसकी अवधि 3 वर्ष तक की हो सकेगी दंडित किया जाएगा।
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