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MY NOTES 247 जूनियर ज्‍यूडिशियल असिस्‍टेंट हिंदी मोक टाइपिंग टेस्‍ट 4

created Nov 11th, 16:11 by Anamika Shrivastava


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विद्वान एकल न्‍यायाधीश ने रिट याचिका को दिनांक 07.09.2017 के आदेश द्वारा मुख्‍य रूप से इस आधार पर स्‍वीकार किया है कि एक बाद बिक्री विलेख निष्‍पादित होने के बाद, भूमि अपीलकर्ताओं को हस्‍तांतरित हो जाती है और जब तक अपीलकर्ताओं की सहमति नहीं होती है, तब तक कोई रद्दीकरण विलेख पंजीकृत नहीं किया जा सकता है। विद्वान एकल न्‍यायाधीश के आदेश से व्‍यथित, प्रतिवादी संख्‍या 01 से 05 ने 2018 की रिट अपील संख्‍या 229 में इंट्रा-कोर्ट अपील को प्राथमिकता दी है, और विद्वान एकल न्‍यायाधीश के आदेश को अपास्‍त करते हुए, आक्षेपित निर्णय द्वारा इसके अनुमति दी जाती है। आक्षेपित निर्ण में, उच्‍च न्‍यायालय ने माना है कि प्रतिवादी संख्‍या 01 से 04 के द्वारा ओ.एस. दिनांक 09.03.2005 की बिक्री विलेख की घोषणा और रद्द करने के लिए 2008 की संख्‍या 142 पहले से ही विचाराधीन है और लंबित मुकदमें में पार्टियों के अधिकारों का निर्णय किया जाएगा। उच्‍च न्‍यायालय की खण्‍डपीठ का विचार था कि तथ्‍यात्‍मक विवादों को देखते हुए, विद्वान एकल न्‍यायाधीश भारत के संविधान के अनुच्‍छेद 226 के तहत याचिका पर विचार नहीं कर सकता था। श्री के.वी. विश्‍वनाथन, अपीलकर्ताओं के विद्वान वरिष्‍ठ अधिवक्‍ता, प्रतिवादी क्रमांक 01 से 04 की ओर से उपस्थित विद्वान वरिष्‍ठ अधिवक्‍ता श्री सी.के.ससी, राज्‍य के विद्वान वकील और श्रीमती प्रतिवादी संख्‍या 08 की ओर से उपस्थित विद्वान वरिष्‍ठ अधिवक्‍ता अनीता, पक्षकारों के विद्वान अधिवक्‍ता को सुनने के बाद हमने आक्षेपित निर्णय तथा अभिलेख में रखी गई अन्‍य सामग्री का अवलोकन किया है। मुख्‍य रूप से यह विद्वान वरिष्‍ठ अधिवक्‍ता श्री के.वी. विश्‍वनाथन ने कहा कि उच्‍च न्‍यायालय ने सत्‍य पाल आनंद बनाम मध्‍य प्रदेश राज्‍य के मामले में इस न्‍यायालय के फैसले पर भरोसा किया है और अपील की अनुमति दी है। लेकिन वर्तमान मामले के तथ्‍यों पर यह अलग है, यह आगे प्रस्‍तुत किया गया है।

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