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साँई कम्प्यूटर टायपिंग इंस्टीट्यूट गुलाबरा छिन्दवाड़ा म0प्र0 (( जूनियर ज्यूडिशियल असिस्टेंट न्यू बेच प्रारंभ ))संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565
created Nov 5th, 04:36 by lovelesh shrivatri
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उस दशा के सिवाय जिसके लिए धारा 335 में उपबंध है, जो कोई स्वेच्छा घोर उपहति कारित करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से जिसकी अवधि सात वर्ष तक की होगी दंडित किया जायेगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा। जिस प्रकार धारा 323 स्वेच्छा उपहति के लिए दंड का प्रावधान करती है उसी प्रकार धारा 325 स्वेच्छा घोर उपहति के लिए दंड का प्रावधान करती है। यह एक उल्लेखनीय है कि यदि यह ज्ञात न हो सके कि उपहति धारधार अस्त्र से कारित हुई है या धारहीन अस्त्र से तो ऐसे मामले में धारा 325 लगाई जाएगी।
उस दशा के सिवाय जिसके लिए धारा 325 में उपबंध है, जो कोई असन, वेधन या काटने के किसी उपकरण द्वारा या किसी ऐसे उपकरण द्वारा जो यदि आक्रामक आयुध के तौर पर उपयोग में लाया जाए, तो उससे मृत्यु कारित होना संभव है, या अग्नि या किसी तप्त पदार्थ द्वारा या किसी विष या संक्षारक पदार्थ द्वारा या किसी विस्फोटक पदार्थ द्वारा या किसी ऐसे पदार्थ द्वारा जिसका श्वास में जाना या निगलना रक्त में पहुंचना मानव शरीर के लिए हानिकारक है, या किसी जीव जंतु द्वारा स्वेच्छा घोर उपहति कारित करेगा, वह आजीवन कारावास से, या दोनों में से किसी भांति के कारावास से जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, दंडनीय किया जायेगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा।
धारा 325 जहां स्वेच्छा घोर उपहति कारित करने में दंड का प्रावधान करती है, वहां धारा 326 खतरनाक आयुधों या साधनों द्वारा घोर उपहति कारित करने पर दंड की व्यवस्था देती है। दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक मामले में दांत को काटने का एक उपकरण माना है। अत: अभियुक्त द्वारा दांत से काटे जाने का अपराध धारा 326 के अधीन आना अभिनिर्धारित किया गया है।
जो कोई इस प्रयोजन से स्वेच्छा उपहति कारित करेगा कि उपहति व्यक्ति से, या उससे हितबद्ध किसी व्यक्ति से, कोई संपत्ति या मूल्यवान प्रतिभूति उद्दापित की जाए या उपहत व्यक्ति को या उससे हितबद्ध किसी व्यक्ति की कोई ऐसी बात, जो अवैध हो या जिससे किसी अपराध का किया जाना सुकर होता हो, करने के लिए मजबूर किया जाए।
उस दशा के सिवाय जिसके लिए धारा 325 में उपबंध है, जो कोई असन, वेधन या काटने के किसी उपकरण द्वारा या किसी ऐसे उपकरण द्वारा जो यदि आक्रामक आयुध के तौर पर उपयोग में लाया जाए, तो उससे मृत्यु कारित होना संभव है, या अग्नि या किसी तप्त पदार्थ द्वारा या किसी विष या संक्षारक पदार्थ द्वारा या किसी विस्फोटक पदार्थ द्वारा या किसी ऐसे पदार्थ द्वारा जिसका श्वास में जाना या निगलना रक्त में पहुंचना मानव शरीर के लिए हानिकारक है, या किसी जीव जंतु द्वारा स्वेच्छा घोर उपहति कारित करेगा, वह आजीवन कारावास से, या दोनों में से किसी भांति के कारावास से जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, दंडनीय किया जायेगा और जुर्माने से भी दंडनीय होगा।
धारा 325 जहां स्वेच्छा घोर उपहति कारित करने में दंड का प्रावधान करती है, वहां धारा 326 खतरनाक आयुधों या साधनों द्वारा घोर उपहति कारित करने पर दंड की व्यवस्था देती है। दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक मामले में दांत को काटने का एक उपकरण माना है। अत: अभियुक्त द्वारा दांत से काटे जाने का अपराध धारा 326 के अधीन आना अभिनिर्धारित किया गया है।
जो कोई इस प्रयोजन से स्वेच्छा उपहति कारित करेगा कि उपहति व्यक्ति से, या उससे हितबद्ध किसी व्यक्ति से, कोई संपत्ति या मूल्यवान प्रतिभूति उद्दापित की जाए या उपहत व्यक्ति को या उससे हितबद्ध किसी व्यक्ति की कोई ऐसी बात, जो अवैध हो या जिससे किसी अपराध का किया जाना सुकर होता हो, करने के लिए मजबूर किया जाए।
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