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Court matters
created Oct 29th, 16:45 by 1998Raunak
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सुप्रीम कोर्ट ने सीधे तौर पर स्पष्ट कर दिया है कि राजद्रोह के मामले में फिलहाल नई कार्रवाई बिना जांच प्रक्रिया पूरी किए नहीं की जाए। सर्वोच्च अदालत ने यह भी कहा है कि यदि किसी पर मामला पहले से ही दर्ज है तो उस पर आगे की कार्यवाई को फिलहाल स्थगित किया जाए और नए मामले दर्ज नहीं किए जाए। इतना ही नहीं, शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि जो लोग इसकी धाराओं में जेल में हैं, उन्हें जमानत के लिए कोर्ट जाने का अधिकार है। समय-समय पर इस कानूनी प्रावधान के दुरुपयोग पर चिंता जताते रहे सुप्रीम कोर्ट के ये निर्देश निश्चित ही सरकारों के हाथों में सौंपे गए ऐसे औजार की धार कुंद करने का काम करेंगे जिनका इस्तेमाल आम तौर पर सरकारें विरोध के स्वर को दबाने के लिए करती रही है। दरअसल, अंग्रेजो के समय शुरू किए गए इस राजद्रोह कानून को लेकर पूरे देश में अब एक बहस खड़ी हो गई है। बहस इस बात को लेकर है कि क्या लोकतांत्रिक देश में इस तरह का कानून होना चाहिए। इस तरह के कानून में किसी के खिलाफ कार्रवाई करने से पहले जांच क्यों नहीं होनी चाहिए। खासकर तब जबकि मामले में सीधे तौर पर राजनीति नजर आ रही हो। देश में सत्ताधारी पार्टियों पर इस धारा के दुरुपयोग के आरोप पहले भी लगते रहे हैं। शुरूआत में केंद्र सरकार ने इस कानून को खत्म नहीं किए जाने की दलील दी थी और यहां तक कहा था कि कोर्ट को संविधान पीठ का फैसला नहीं बदलना चाहिए। लेकिन, देश में इसको लेकर शुरू हुई बहस के बाद सरकारी पक्ष भी लचीला हो गया है। यही वजह है कि अब सरकार ने भी इस कानून पर संयमित दलील दी।
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