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साँई कम्‍प्‍यूटर टायपिंग इंस्‍टीट्यूट गुलाबरा छिन्‍दवाड़ा (म0प्र0) सीपीसीटी न्‍यू बैच प्रारंभ संचालक- लकी श्रीवात्री मो. नं. 9098909565

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एक युवक सड़क किनारे बैठ के भीख मांग रहा था। एक महानुभाव उधर से गुजरे और उनकी नजर उस भिखारी पर पड़ी, जो नवयुवक था। वह बोले- कुछ करते हो भिखारी बोला जी कुछ नहीं फिर वे बोले- जब कुछ नहीं करते और कहीं आते-जाते भी नहीं तो 10 हजार रूपए ले लो और दोनों पैर काटकर मुझे दे दो।  
भिखारी बोला- कुछ करता नहीं लेकिन शौच आदि के लिए तो जाना पड़ता है। वे बोले जब कुछ नहीं तो 20 हजार रूपए ले लो और अपने दोनों हाथ मुझे दे दो। भिखारी बोला हाथ के बिना मैं खाऊंगा कैसे? वे बोले तुम बात तो ठीक कह रहे हो, चलो 40 हजार में अपनी दोनों आंखे मुझे दे दो। इस बार भिखारी उत्तेजित होकर बोला करोड़ो देगे तब भी शरीर का एक रोआं तक नहीं दूंगा। बस इसी बात पर वह महाशय बोल पड़े जिसके पास करोड़ों की सपंत्ति है, वह भिखारी कैसे हो सकता है? यह सुनते ही भिखारी का स्‍वाभिमान जाग उठा और उसने तय किया कि अब वह कभी भी भीख नहीं मांगेगा। वह कोई काम करेगा। उन शब्‍दों का ऐसा असर पड़ा कि भिखारी कर्मठ बन गया। इसलिए दान देते समय यह जरूर ध्‍यान रखना चाहिए कि दान से यदि कोई कायर बन रहा हैं, तो दान दोषपूर्ण है।   

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