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डिक्टेशन संकलन 3 | STENOGRAPHER MERGE KHANNA |
created Oct 20th, 04:24 by StenographerPa07
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संविधान के अनुच्छेद 2 में भारत को राज्यों का संघ बताया गया है। हमने ऐसी संघात्मक प्रणाली चुनी है, जिसमें केंद्र शक्तिशाली है लेकिन राज्यों को भी पूरी आजादी दी गई है। आजादी के वक्त भीषण हिंसा को देखते हुए और भविष्य में राष्ट्र की सुरक्षा व अखंडता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से केंद्र को प्रमुख भूमिका दी गई है। हमारा संविधान न तो संघात्मक है और न ही एकात्मक। हमारा देश परंपरागत संघों से अलग किस्म का संघ है। हालांकि इसमें लिखित तथा कठोर संविधान, केंद्र व राज्यों के बीच शक्तियों का विभाजन संविधान की सर्वोच्चता और स्वतंत्र न्यायपालिका जैसे संघात्मक संविधान के सभी गुण विद्यमान हैं राज्यों को संविधान में स्वतंत्र शक्यिॉं दी गई है। वे केंद्र के नहीं, संविधान के उपबंधों के अधीन हैं। इस प्रकार हमारा देश एक सहयोगात्मक संघ बनाया गया, जिसमें आपसी स्पर्द्धा और टकराव की गुंजाइश न हो। संविधान में अलग-अलग शीर्षकों के अंतर्गत केंद्र राज्या संबंधों की व्यवस्था है। विधायी शक्तियों का वितरण, प्रशासकीय संंबंध और तित्तीय संबंध केंद्र और राज्यों के मध्य राजस्व का वितरण, इसी तरह प्रशासनिक विषयों के बारे में भी विस्तृत व्यवस्था है। राज्य की कार्यपालिका शक्ति का प्रयोग इस प्रकार किया जाए कि जिससे संसद द्वारा निर्मित कानूनों का पालन सुनिश्चित हो। केंद्र को इस संबंध में राज्य को आवश्यक निर्देश देने का हक है अनुच्छेद 257 में कहा गया है कि राज्य अपनी शक्यिों का इस प्रकार प्रयोग करेगा। जिससे केंद्र के अधिकारों में बाधा न पहुंचे। इस मामले में भी केंद्र को जरूरी निर्देश देने का हक है।
जाहिर है कि राज्यों के संबंध में संघ को संरक्षणात्मक भूमिका प्रदान की गई है। अनुच्छेद 355 में कहा गया है। यह संघ का कर्तव्य है कि प्रत्येक राज्य की बाहरी आक्रमण और आंतरिक गड़बड़ी से सुरक्षा करे और यह सुनिश्चित करे कि प्रत्येक राज्य की सरकार संविधान के उपबंधों के अनुसार संचालित हो रही है। इसके साथ अनुच्छेद 356 में यह भी कहा गया है कि यदि कोई राज्य संविधान के अनुसार केंद्र के निर्देशों का पालन करने में असफल रहता है तो राष्ट्रपति इस निष्कर्ष पर पहुंच सकते हैं कि वहां संविधान के मुताबिक शासन नहीं चलाया जा रहा है। अखिल भारतीय सेवाएं केंद्रीय सेवाओं से इस तरह अलग हैं कि अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारी केंद्र और राज्य सरकार दोनों में सेवा दे सकते हैं।
जाहिर है कि राज्यों के संबंध में संघ को संरक्षणात्मक भूमिका प्रदान की गई है। अनुच्छेद 355 में कहा गया है। यह संघ का कर्तव्य है कि प्रत्येक राज्य की बाहरी आक्रमण और आंतरिक गड़बड़ी से सुरक्षा करे और यह सुनिश्चित करे कि प्रत्येक राज्य की सरकार संविधान के उपबंधों के अनुसार संचालित हो रही है। इसके साथ अनुच्छेद 356 में यह भी कहा गया है कि यदि कोई राज्य संविधान के अनुसार केंद्र के निर्देशों का पालन करने में असफल रहता है तो राष्ट्रपति इस निष्कर्ष पर पहुंच सकते हैं कि वहां संविधान के मुताबिक शासन नहीं चलाया जा रहा है। अखिल भारतीय सेवाएं केंद्रीय सेवाओं से इस तरह अलग हैं कि अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारी केंद्र और राज्य सरकार दोनों में सेवा दे सकते हैं।
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