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साँई कम्प्यूटर टायपिंग इंस्टीट्यूट गुलाबरा छिन्दवाड़ा म0प्र0 संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565
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आत्महत्या के मामलों पर लगाम लगाने के लिए वैश्विक स्तर पर प्रयास किए जा रहे है। भारत में भी लोगों को विभिन्न स्तरों पर इस संबंध में जागरूक करने की कोशिश हो रही है, लेकिन देश में कहीं न कहीं से आत्महत्या के दिल-दहलाने वाले मामले सामने आ ही जाते है। इसी तरह का एक मामला गुजरात के सूरत शहर में हुआ। एक व्यापारी ने पहले तो अपने माता-पिता, पत्नी और तीन बच्चों को जहर दिया। इसके बाद खूद भी जहर पीकर आत्महत्या कर ली। आत्महत्या का कारण आर्थिक तंगी माना जा रहा है।
इंटीरियर डिजाइन और फर्नीचर का काम करने वाले व्यवसायी के परिवार की बाहरी चकाचौध को देखते हुए कोई यह अनुमान नहीं लगा सकता था कि वह किसी गंभीर आर्थिक संकट में फंसा हुआ है और ऐसा खौफनाक कदम भी उठा सकता है। खुदकुशी करने से पहले अपने परिजनों की जान लेने का यह पहला मामला नहीं है। ऐसी घटनाएं अक्सर सामने आती रहती है। यह विडंबना ही है कि परिजनों को सुरक्षा की चिंता ही उनकी मौत का कारण बन जाती है। सब जानते है आत्महत्या किसी भी समस्या का समाधान नहीं होती, लेकिन आत्महत्या करने वाले को लगता है कि जीवन से पलायन ही समाधान है। हर किसी व्यक्ति के जीवन में संकट आते है, इन संकटों का प्रकार अलग-अलग हो सकता है, लेकिन इसका मतलब यह कतई नहीं है कि मौत को ही गले लगा लिया जाए।
आत्महत्या चाहे जिस भी वर्ग का व्यक्ति करे, उसे रोकने का प्रयास हर स्तर पर आवश्यक है। सरकार, समाज और परिवार के स्तर पर इस समस्या पर गंभीर चिंतन होना चाहिए। समय रहते ऐसे लोगों को पहचान कर उनकी सही तरीके से काउंसलिंग की जाए तो संभव है वे निराश की सुरंग से निकल कर आशा रूपी उजाले को महसूस करें और आत्महत्या करने का विचार ही त्याग दें।
इंटीरियर डिजाइन और फर्नीचर का काम करने वाले व्यवसायी के परिवार की बाहरी चकाचौध को देखते हुए कोई यह अनुमान नहीं लगा सकता था कि वह किसी गंभीर आर्थिक संकट में फंसा हुआ है और ऐसा खौफनाक कदम भी उठा सकता है। खुदकुशी करने से पहले अपने परिजनों की जान लेने का यह पहला मामला नहीं है। ऐसी घटनाएं अक्सर सामने आती रहती है। यह विडंबना ही है कि परिजनों को सुरक्षा की चिंता ही उनकी मौत का कारण बन जाती है। सब जानते है आत्महत्या किसी भी समस्या का समाधान नहीं होती, लेकिन आत्महत्या करने वाले को लगता है कि जीवन से पलायन ही समाधान है। हर किसी व्यक्ति के जीवन में संकट आते है, इन संकटों का प्रकार अलग-अलग हो सकता है, लेकिन इसका मतलब यह कतई नहीं है कि मौत को ही गले लगा लिया जाए।
आत्महत्या चाहे जिस भी वर्ग का व्यक्ति करे, उसे रोकने का प्रयास हर स्तर पर आवश्यक है। सरकार, समाज और परिवार के स्तर पर इस समस्या पर गंभीर चिंतन होना चाहिए। समय रहते ऐसे लोगों को पहचान कर उनकी सही तरीके से काउंसलिंग की जाए तो संभव है वे निराश की सुरंग से निकल कर आशा रूपी उजाले को महसूस करें और आत्महत्या करने का विचार ही त्याग दें।
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