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साँई कम्‍प्‍यूटर टायपिंग इंस्‍टीट्यूट गुलाबरा छिन्‍दवाड़ा म0प्र0 संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565

created Oct 7th, 05:49 by lovelesh shrivatri


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इस अध्‍याय के अधीन किसी मामले में धारा 211 की उपधारा (7) के उपबंधों के अधीन पूर्व दोषसिद्धि का आरोप लगाया गया है और अभियुक्‍त यह स्‍वीकार नहीं करता है कि आरोप में किए गए अभिकथन के अनुसार उसे पहले दोषसिद्ध किया गया था वह मजिस्‍ट्रेट उक्‍त अभियुक्‍त को दोषसिद्ध करने के पश्‍चात् अभिकथित पूर्व दोषसिद्धि के बारे में साक्ष्‍य ले सकेगा और उस पर निष्‍कर्ष अभिलिखित करेगा। परंतु जब तक अभियुक्‍त उपधारा(2) के अधीन दोषसिद्ध नहीं कर दिया जाता है तब तक तो ऐसा आरोप मजिस्‍ट्रेट द्वारा पढ़कर सुनाया जाएगा, अभियुक्‍त से उस पर अभिवचन करने को कहा जाएगा, और पूर्व दोषसिद्धि का निर्देश अभियोजन द्वारा, या उसके द्वारा दिए गए किसी साक्ष्‍य में किया जाएगा। जब कार्यवाही परिवाद पर संस्थित की जाती है और मामले की सुनवाई के लिए नियत किसी दिन परिवादी अनुपस्थित है और अपराध का विधिपूर्वक समन किया जा सकता है या वह संज्ञेय अपराध नहीं है तब मजिस्‍ट्रेट, इसमें इसके पूर्व किसी बात के होते हुए भी आरोप के विरचित किए जाने के पूर्व किसी भी समय अभियुक्‍त को स्‍वविवेकानुसार उन्‍मोचित कर सकेगा। यदि परिवाद पर या पुलिस अधिकारी या मजिस्‍ट्रेट को दी गई इत्तिला, पर संस्थित किसी मामले में मजिस्‍ट्रेट के समक्ष एक या अधिक व्‍यक्तियों पर मजिस्‍ट्रेट द्वारा विचारणीय किसी अपराध का अभियोग है और वह मजिस्‍ट्रेट जिसके द्वारा मामले की सुनवाई होती है, तब अभियुक्‍तों को या उनमें से किसी को उन्‍मोचित या दोषमुक्‍त कर देता है और उसकी यह राय है कि उनके या उनमें से किसी के विरुद्ध अभियोग लगाने का कोई उचित कारण नहीं था, तो वह मजिस्‍ट्रेट उन्‍मोचन या दोषमुक्ति के अपने आदेश द्वारा, यदि वह व्‍यक्ति जिसके परिवाद या इत्तिला पर अभियोग लगाया गया था, उपस्थित है तो उससे अपेक्षा कर सकेगा कि वह तत्‍काल कारण दर्शित करे कि वह उस अभियुक्‍त को, या जब ऐसे अभियुक्‍त एक से अधिक हैं तो उनमें से प्रत्‍येक को या किसी को प्रतिकर क्‍यों दे अथवा यदि ऐसा व्‍यक्ति उपस्थित नहीं है तो हाजिर होने और उपयुक्‍त रूप से कारण दर्शित करने के लिए उसके नाम समन जारी किए जाने का निर्देश दे सकेगा। मजिस्‍ट्रेट ऐसा कोई कारण जो ऐसा परिवादी या इत्तिला देने वाला दर्शित करता है, अभिलिखित करेगा और उस पर विचार करेगा और यदि उसका समाधान हो जाता है कि अभियोग लगाने का कोई उचित कारण नहीं था तो जितनी रकम का जुर्माना करेगा।  

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