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साँई कम्प्यूटर टायपिंग इंस्टीट्यूट गुलाबरा छिन्दवाड़ा म0प्र0 संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565
created Sep 4th 2024, 09:22 by Sai computer typing
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304 words
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				गणेश जी का मुख मंडल मस्तक हाथी का है, जिसका अर्थ है अपनी सोच के बड़ा और सकारात्मक बनाएं। यह बुद्ध और विवेक शक्ति को दर्शाता है। हाथी जैसा सिर होने के कारण ही गणेश जी को गजाजन कहा जाता है। चौड़े कान ज्ञान और मदद मांगने वाले लोगों की बात सुनने की क्षमता को दर्शते है। घुमावदार सूंड वास्तविक और अवास्विक के बीच भेदभाव की क्षमता के दर्शती है। भगवान गणेश की छोटी आंख यह दर्शाती है कि हर जीज को सूक्ष्मत से देखकर ही कोई निर्णय लेना चाहिए। ऐसा करने वाला व्यक्ति जीवन में कभी धोखा नहीं खाता है। गणेश जी का एक दांत अच्छाई को बनाए रखने और अनावश्यक चीजों को त्यगने के विचार को दर्शाता है। यह एकाग्रचित ध्यान और द्वंद्व पर विजय पाने की क्षमता का प्रतीक है। उनका छोटा मुंह हमें बताता हैं कि जीवन में हमेशा बहुत ज्यादा बात करने की जरूरत नहीं है।  
बड़े पेट के कारण ही गणेश जी को लंबोदर कहा जाता है, जो खुशहाली और आनंद का प्रतीक है। उनका बड़ा पेट प्रकृति की उदारता के साथ ब्रह्मांड के दुखों को निगलने और दुनिया की रक्षा करने की उनकी क्षमता का प्रतीक है। यह हमें सभी अनुभवों को शांतिपूर्वक पचाने की याद दिलाता है, चाहे वे सुखद हो या चुनौतीपूर्ण और उनसे अप्रभावित रहने की याद दिलाता है। गणेश जी ने सर्प की जनेऊ धारण की हुई है।
गणपति की चार भुजाएं मन, बुद्धि अहंकार और विवेक को दर्शाती है। एक हाथ में कुल्हाड़ी दुख पीड़ा कष्ट को दूर करने के लिए दूसरे हाथ में चाबुक शक्ति का प्रतीक हाथ में आशीर्वाद रूप में अभव का वरदान देते हुए और चौथे हाथ में कमल पुष्प विराजमान है। इससे व्यक्ति के जीवन का विकास उच्चतम लक्ष्य के साथ सकारात्मक का विकास उच्चतम लक्ष्य के साथ सकारात्मक आध्यात्मिक जीवन जीने की कला बताता है।
			
			
	        बड़े पेट के कारण ही गणेश जी को लंबोदर कहा जाता है, जो खुशहाली और आनंद का प्रतीक है। उनका बड़ा पेट प्रकृति की उदारता के साथ ब्रह्मांड के दुखों को निगलने और दुनिया की रक्षा करने की उनकी क्षमता का प्रतीक है। यह हमें सभी अनुभवों को शांतिपूर्वक पचाने की याद दिलाता है, चाहे वे सुखद हो या चुनौतीपूर्ण और उनसे अप्रभावित रहने की याद दिलाता है। गणेश जी ने सर्प की जनेऊ धारण की हुई है।
गणपति की चार भुजाएं मन, बुद्धि अहंकार और विवेक को दर्शाती है। एक हाथ में कुल्हाड़ी दुख पीड़ा कष्ट को दूर करने के लिए दूसरे हाथ में चाबुक शक्ति का प्रतीक हाथ में आशीर्वाद रूप में अभव का वरदान देते हुए और चौथे हाथ में कमल पुष्प विराजमान है। इससे व्यक्ति के जीवन का विकास उच्चतम लक्ष्य के साथ सकारात्मक का विकास उच्चतम लक्ष्य के साथ सकारात्मक आध्यात्मिक जीवन जीने की कला बताता है।
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