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साँई कम्प्यूटर टायपिंग इंस्टीट्यूट गुलाबरा छिन्दवाड़ा म0प्र0 संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565
created Aug 1st 2024, 07:52 by lucky shrivatri
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एक राजा और नगर सेठ के बीच गहरी दोस्ती थी। नगर सेठ चंदन की लकड़ी का व्यापारी था। एक दिन मुनीम ने बताया कि लकड़ी की बिक्री कम होती जा रही है। सेठ के मन में विचार आया कि अगर राजा की मृत्यु हो जाए तो उसी से चंदन की लकडियां खरीदेंगे। उधर अचानक ही राजा ने भी सोचा कि इस नगर सेठ ने उससे दोस्ती करके न जाने कितनी दौलत जमा कर ली है। मुझे ऐसा कोई नियम बनाना चाहिए, जिससे इसका सारा धन मेरे राज्य के भंडार में समा जाए। स्नेह अब उनकी दोस्ती में नहीं था।
एक दिन नगर सेठ ने राजा से पूछा, मित्र मुझे ऐसा क्यों लगता है कि पिछले कुछ दिन से हमारे रिश्ते में एक कटुता आ गई है? दोनों गुरू के पास पहुंचे। गुरू ने कहा, आप दोनों पहले एक दूसरे से शुद्ध भाव से मिलते थे, लेकिन अब आपके मन में एक दूसरे को लेकर बुरे विचार आ गए है। आपने राजा के लिए गलत सोचा इसलिए राजा के मन में भी आपके लिए गलत विचार आया। दोनों की गलत सोच ने आपकी दोस्ती में दूरी बढ़ा दी। दोनों प्रायश्चित करके अपने मन को शुद्ध कर लो तभी आपकी मित्रता में पहले जैसी प्रसन्नता फिर से लौट आएगी।
एक दिन नगर सेठ ने राजा से पूछा, मित्र मुझे ऐसा क्यों लगता है कि पिछले कुछ दिन से हमारे रिश्ते में एक कटुता आ गई है? दोनों गुरू के पास पहुंचे। गुरू ने कहा, आप दोनों पहले एक दूसरे से शुद्ध भाव से मिलते थे, लेकिन अब आपके मन में एक दूसरे को लेकर बुरे विचार आ गए है। आपने राजा के लिए गलत सोचा इसलिए राजा के मन में भी आपके लिए गलत विचार आया। दोनों की गलत सोच ने आपकी दोस्ती में दूरी बढ़ा दी। दोनों प्रायश्चित करके अपने मन को शुद्ध कर लो तभी आपकी मित्रता में पहले जैसी प्रसन्नता फिर से लौट आएगी।
