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साँई कम्‍प्‍यूटर टायपिंग इंस्‍टीट्यूट गुलाबरा छिन्‍दवाड़ा म0प्र0 संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565

created Jul 22nd, 07:44 by lucky shrivatri


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बढ़़ते साइबर अपराध पिछले सालों में दुनिया भर में नए संकट के रूप में उभरे है। तमाम प्रयासों के बावजूद साइबर अपराधी नित नए यहां तो केन्‍द्रीय गृह मंत्रालय की साइबर विंग को लोगों को आगाह करना पड़ा है कि वे किसी भी सरकारी दफ्तर से ई-मेल के जरिए मिलने वाले संदिग्‍ध ई-नोटिस की अच्‍छी तरह पड़ताल कर लें। जाहिर है साइबर ठगों ने सरकारी महकमों के नाम से फर्जी ई-मेल भेज लोगों को गुमराह करने के तरीके का तेजी से इस्‍तेमाल करना शुरू कर दिया है। साइबर ठग ये काम इतनी होशियारी से करने लगे हैं कि एक बार तो असली नकली में भेंद करना मुश्किल हो जाता है और लोग आसानी से झांसे में जाते है।  
भारतीय साइबर कोऑर्डिनेशन सेंटर (आइ4सी) ने साफ कहा है कि लोगों को सरकारी ई-नोटिस की आड़ में मिलने वाली फर्जी ई-मेल को सतर्क रहने की जरूरत है। ऐसे ई-मेल पर अटैचमेंट अथवा किसी लिंग को क्लिक करना हैकर्स की राह आसान कर सकता है। वैसे भी सरकारी महकमों से मिलने वाले किसी भी नोटिस को लेकर किसी भी व्‍यक्ति या संस्‍था का सक्रिय होना स्‍वाभाविक है। आम तौर पर सरकारी एजेंसियों की मेल आइडी से मिलती जुलती मेल से साइबर अपराधी लोगों को आर्थिक अपराध, सरकारी रिकवरी ड्रग्‍स या चाइल्‍ड पोर्नोग्राफी से जुडे मामलों को लेकर ई-नोटिस भेजते है। हैरत की बात यह है कि इस तरह के नोटिस की भाषा भी सरकारी नोटिस में इस्‍तेमाल किए जाने वाली ही होती है।  
देखा जाए तो तहकीकात किए बिना ही हडबडाहट में फर्जी को असली मानने की भूल ही लोगों को साइबर ठगों के हत्‍थे चढ़ाती है। बैंको की ओर से भी कई बार कहा जाता है कि अपना पासवर्ड और बैक खातों की जानकारी किसी से साझा नहीं करें।   
 
 
 
  

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