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Junior judicial assistant Success Shorthand Academy Morena by Anurag Sir ( Mo.8817458489)

created May 22nd, 02:26 by Success Shorthand Academy By Anurag Sir


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धीरे-धीरे सरकारी अस्‍पतालों की स्थिति में सुधार हो रहा है, मगर देश की जनसंख्‍या को देखते हुए यह सुधार काफी नहीं है इस दौर में भी देश के अनेक सरकारी अस्‍पतालों में कर्मचारियों की भारी कमी है। इतना विकास होने के बावजूद जिला सरकारी अस्‍पतालों में सभी परीक्षण नहीं हो पाते हैं इस वजह से रोगियों को निजी डाक्‍टरों से परीक्षण कराने पड़ते हैं कई बार सरकारी सेवा में कार्यरत डाक्‍टर लापरवाही बरतते हैं तो कई बार सरकारी डाक्‍टर संसाधनों के अभाव में भी बेहतर काम नहीं कर पाते हैं अनेक जगहों पर सरकारी अस्‍पतालों में वर्षों तक मशीनें खराब पड़ी रहती हैं डाक्‍टरों द्वारा विभाग को कई पत्र लिखने के बाद भी व्‍यवस्‍था में सुधार नहीं होता है ऐसे माहौल में योग्‍य डाक्‍टरों का उत्‍साह कम हो जाता है इसलिए लापरवाह डाक्‍टरों पर कार्रवाई और ईमानदार डाक्‍टरों के समर्पण को व्‍यवस्‍था की मार से बचाने की अपेक्षा स्‍वाभाविक है।  
    हाल ही में दिल्‍ली के राममनोहर लोहिया अस्‍पताल में भ्रष्‍टाचार का खुलासा हुआ इस अस्‍पताल के दो चिकित्‍सकों समेत ग्‍यारह लोगों को गिरफ्तार किया गया उन पर रिश्‍वत लेकर कुछ खास कंपनियों के उत्‍पाद को बढ़ावा देने का आरोप है उन पर मरीजों से भर्ती करने के लिए अवैध रूप से वसूली का भी आरोप है जब देश की राजधानी के अस्‍पतालों में भ्रष्‍टाचार को बढ़ावा दिया जा रहा है तो दूर-दराज के अस्‍पतालों की स्थिति का सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है।  
    पिछले दिनों नीति आयोग ने स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं पर खर्च बढ़ाने की जरूरत रेखांकित की थी यह कटु सत्‍य है कि हमारे देश में आबादी की जरूरत के हिसाब से स्‍वास्‍थ्‍य सेवाएं दयनीय स्थिति में हैं भारत में स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं में जीडीपी का मात्र डेढ़ फीसद खर्च होता है दुनिया के कई देश स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं की मद में आठ से नौ फीसद तक खर्च कर रहे हैं कोराना काल में हमारे देश की लचर स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं की पोल खुल गई थी अगर हमारे देश का स्‍वास्‍थ्‍य ढांचा बेहतर होता तो कोराना काल में जनता को ज्‍यादा सुविधाएं दी जा सकती थीं उस वक्‍त जहां एक ओर अनेक डाक्‍टर कई तरह के खतरे उठा कर अपने कर्तव्‍यों को निर्वहन कर रहे थे वहीं दूसरी ओर अनेक निजी अस्‍पतालों का ध्‍यान आर्थिक लाभ कमाने पर था इस दौर में भी जब गंभीर रोगों से पीडि़त मरीजों के लिए अस्‍पतालों में स्‍ट्रेचर जैसी मूलभूत सुविधाएं मिल पाएं तो देश की स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं पर सवाल उठना लाजमी है।  
 

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