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साँई कम्‍प्‍यूटर टायपिंग इंस्‍टीट्यूट गुलाबरा छिन्‍दवाड़ा म0प्र0 संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565

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एक बार विजयनगर में चूहों की संख्‍या अत्‍यधिक बढ़ गई उन चूहों के रहते विजय नगर जन सभी लोग बहुत परेशान हो गए। वे सभी यूहे वहां रहने वाले निवासियों का बहुत नुकसान करते वो चूहें लोगों के कपड़े कुतर देते और फसल का नुकसान करते। इसके रहते वहां के सभी लोगों ने राजा के पास जाने का निर्णय लिया। अगले दिन वह सभी लोग राजा के पास पहुंचे और इस समस्‍या का समाधान करने को कहा। राजा उस समस्‍या को देखते एक समाधान निकाला। उन्‍होंने उन सभी लोगों को घर में एक बिल्‍ली पालने को कहा और उन सभी लोगों को एक-एक गाय दे दी। महाराज ने तेनालीराम को भी एक बिल्‍ली और एक गाय दे दी। बिल्लियों के आने से उस शहर की चूहों की समस्‍या बहुत कम हो गई, परंतु लोगों पर बस एक समस्‍या थी कि उन बिल्लियों को समय पर दूध पिलाना और गायों की देखभाल करना। दूध पीकर बिल्लियां कुछ ही दिनों में बहुत मोटी और सुस्‍त हो गई जिसके कारण वह एक कदम चल भी नहीं सकती थी। बिल्लियां बस दूध पीकर पूरे दिन सोती रहती थी। राजा द्वारा दी गई तेनालीराम की बिल्‍ली मोटी और सुस्‍त हो गई, जिसके कारण वह भी पूरे दिन सोती रहती थी। तेनालीराम अपनी बिल्‍ली को सुस्‍त देखकर उसके दिमाग में एक योजना आई। वह अगले दिन बिल्‍ली को हमेशा की तरह दूध तो दिया परंतु इस बार दूध अत्‍यंत गर्म था, इतना गरम की बिल्‍ली को लगाते ही उसका मुंह जल जाए। इसी के चलते तेनालीराम की बिल्‍ली कई दिनों तक दूध नहीं पी पाती और वह वापस पहले की तरह पतली होने लगी। तब तेनालीराम की बिल्‍ली पहले की तरह फुर्तीली हो चुकी थी। एक दिन राजा सभी निवासियों को एक जगह बुलाया। जब राजा ने तेनालीराम को बिल्‍ली को अन्‍य बिल्लियों की बजाए दुबली पतली पाया तो राजा ने तेनालीराम को इसका कारण पूछा। तब तेनालीराम ने बताया कि उसकी बिल्‍ली ने दूध पीना छोड़ दिया है। इस बात पर राजा ने विश्‍वास नहीं किया और उस बिल्‍ली के सामने दूध से भरा हुआ कटोरा ला रखा। जब बिल्‍ली ने उस भरे दूध की कटोरी को देखा तो उसने सोचा कि वह भी इतना गरम है। इसी डर से बिल्‍ली दूध के कटोरे के पास आने के बजाय वहां से भाग खड़ी हुई। यह देख कर सभी लोग आश्‍चर्यचकित हो गए और तेनालीराम से पूछने लगे राजा ने भी तेनालीराम को इसका कारण पूछा तब तेनालीराम ने बताया कि जब सेवक ही आलसी हो जाए तो वहां मालिक पर ही बोझ बन जाता है। जो कि इन सभी बिल्लियों के साथ हुआ। तेनालीराम ने अपनी बिल्‍ली को गरम दूध देने की बात बताई और कहा कि वह अब अपनी मेहनत से खाना तलाश करती है। कुछ ही दिनों में मेरी बिल्‍ली चुस्‍त और फुर्तीली हो गई। उसके सामने दूध से भरा हुआ ठंडा कटोरा भी रख दे तो भी वह उस दूध को नही पीती। तेनालीराम ने इसी बात पर राजा को कहा कि अपने सेवक को कभी आलसी बनते देख उस पर पकड़ बनाए रखनी चाहिए। जिससे कि वह हमेशा चुस्‍त रहे और अपने काम के प्रति समर्पित रहे। राजा को तेनालीराम की यह बात बहुत पंसद आई। राजा ने तेनालीराम को हजार स्‍वर्ण मुद्राएं उपहार में दी।  

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