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बंसोड कम्प्यूटर टायपिंग इन्स्टीट्यूट छिन्दवाड़ा म0प्र0 प्रवेश प्रारंभ (सीपीसीटी, एवं TALLY ) MOB. NO. 8982805777
created Apr 24th 2024, 04:28 by shilpa ghorke
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आज के दौर में लोगों की सोच को विज्ञापन के जरिये बदला जा सकता है इसका नमूना आप चुनाव में देख सकते है। आज हम आपको विज्ञापन के बहुत से प्रकार के बारे में समझायेंगे जिससे आपको विज्ञापन को समझने में आसानी रहेगी। विज्ञापन एक कला है। विज्ञापन का मूल यह माना जाता है कि जिस चीज का विज्ञापन किया जा रहा है। उसे लोग पहचान जाएं और उसको अपना लें। कंपनियों के लिए यह लाभकारी है। शुरू-शुरू में घंटियां बजाते हुए टोपियां पहनकर या रंग बिरंगे कपड़े पहनकर कई लोगों के जरिये गलियों में विज्ञापन किए जाते थे। इन लोगों जरिये कंपनी अपनी चीजों के बारे में जानकारियां घर घर पहुंचा देते थी। विज्ञापन के विकास के साथ कई चीजों का भी विकास हुआ है। जैसे समाचार पत्र और रेडियो और टेलिविजन का ईजात हुआ। इसी के साथ विज्ञापन ने अपना सलतनत फैलानी शुरू कर दी थी। नगरों में सड़कों के किनारे चौराहों और गलियों के सिरों पर विज्ञापन लटकने लगे। समय के साथ बदलते हुए समाचार पत्र और रेडियो तथा सिनेमा के पट अब इनका जरिया बन गए हैं। विज्ञापन सौदागरी व बिक्री बढ़ाने का एक मात्र साधन है। देखा गया है कि अनेक सौदागर केवल विज्ञापन के बल पर ही अपना माल बेचते हैं। कुल मिलाकर विज्ञापन कला ने आज सौदागरी क्षेत्र में अपनी जरूरी जगह बना ली है और इसलिए ही इस युग को विज्ञापन युग कहा जाने लगा है। विज्ञापन के इस युग में लोगों ने इसका गलत उपयोग करना भी शुरू कर दिया है। विज्ञापन के जरिये उपज का इतना प्रचार किया जाता है कि लोगों के जरिये बिना सोचे समझे उपज का अंधाधुंध प्रयोग किया जा रहा है। हम विज्ञापन के माया जाल में इस प्रकार उलझकर रह गए हैं कि हमें विज्ञापन में दिखाए गए झूठ भी सच नजर आते हैं। हमारे घर चमक प्रसाधनों तथा बाकी चीजों से अटे पडे रहते हैं। इन चीजों की हमें कोई जरूरत है भी या नहीं हम सोचते नहीं है। बाजार विलासिता की सामग्री से अटा पडा है और विज्ञापन हमें इस ओर खींच कर ले जा रहे हैं। लुभावने विज्ञापनों की जरिये हमारी सोच को बीमार कर दिया जाता है और हम उनकी ओर खुद को बंधे हुए पाते हैं। मुंह धोने के लिए हजारों तरह के साबुन और फैशवास मिल जायंगे। विज्ञापनों के जरिये हमें यह भरोसा दिला दिया जाता है कि यह क्रीम हमें जवान और सुंदर बना देगी। रंग यदि काला है तो वह गोरा हो जाएगा। इन विज्ञापनों में सच है यह देखने के लिए बड़े-बड़े खिलाडियों और चित्रपट कलाकारों को लिया जाता है। हम इन कलाकारों की बातों को सच मानकर अपना पैसा पानी की तरह बहातें हैं लेकिन नतीजा ठन-ठन गोपाल है। हमें विज्ञापन देखकर जानकारी जरूर लेनी चाहिए लेकिन विज्ञापनों को देखकर चीजे नहीं लेनी चाहिए। विज्ञापनों में जो दिखाया जाता है वे शत प्रतिशत सही नहीं होता। विज्ञापन हमारी सहायता करते हैं कि बाजार में किस प्रकार की सामग्री आ गई हैं। हमें विज्ञापनों के जरिये चीजों की जानकारियां मिलती हैं। विज्ञापन ग्राहक और कंपनी के बीच कडी का काम करते हैं। ग्राहकों को अपने उपज की बिक्री करने के लिए विज्ञापनों के जरिये लुभाया जाता है। आज आप कितने ही ऐसे साबुन क्रीम और पाउडरों के विज्ञापनों को देखते होंगे।
