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बंसोड कम्‍प्‍यूटर टायपिंग इन्‍स्‍टीट्यूट छिन्‍दवाड़ा म0प्र0 प्रवेश प्रारंभ (CPCT, DCA, PGDCA & TALLY)

created Apr 23rd, 04:34 by Ashu Soni


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जल है तो कल है यह मुहावरा हमने कई बार किताबो में एवं अपने बडो से टीवी पर कई बार सुना है लेकिन हम कई बार देखते है कि  सूखे के कारण कई लोग मर गये और पानी के बिना बैचेन है। हमने कई बार यह भी सुना है कि पानी बचाओ पानी बचाओ लेकिन जाने कितनी बार ब्रश करते समय और कार धोते समय और हाथ धोते समय नल को ऐसे ही खुला छोड़ दिया। जिसके कारण आज यह मुसीबत अपना विकराल रूप लेकर हमारे सामने जल की कमी के रूप में आई है। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि जल ही जीवन  है और जल है तो कल है। जल हमारे जीवन के लिये जरूरी है। इसके बाबजूद हम कई बार बहुत सारा पानी खराब करते है। जल की कमी हर साल बढ़ती जा रही है और हम यह सोचकर पानी का संरक्षण नहीं करते कि बारिश के मौसम में दोबारा धरती को पानी मिल  ही जायेगा, लेकिन ऐसा नहीं है। लोग जल के जरूरत को नहीं समझ रहे है। जिन जगहों पर लोग पानी की कमी से जूझ रहे है वहां के लोग तो इसकी जरूरत को समझ रहे है, लेकिन जिन जगहों पर इसकी कोई कमी नहीं है वहां लोग बेकार के काम जैसे छत धोना और नालियों में बहाना और कपड़े धोने में अधिक पानी का उपयोग करना और गाड़ी धोना आदि जैसे काम करके इसे खराब करते है और आने वाले सालों में ये मुसीबत और भी विकराल रूप धारण कर लेगी। यदि पानी का अंधा धुंध प्रयोग इसी तरह चलता रहा और हमने जल सरंक्षण का कोई समाधान नहीं ढूंढा तो वो दिन दूर नहीं जब हम पानी की एक-एक बूंद के लिए तरसेंगे। इसीलिए यदि हालात इसी  प्रकार चलते रहे तो पानी के अभाव से अकाल मौतें और जानवरों की सामूहिक मौतें तथा समाज के लोप हो जाने के हालात भी पैदा हो जायेंगे। आज हम दिन प्रतिदिन जल का दुरूपयोग कर रहे है। जरूरी उपयोग के साथ साथ लोग इसे प्रदूषित भी कर रहे है जैसे नदी में अपने कपड़े धोना और घर का कचरा नदी में बहाना तथा कारखानों की गंदगी पानी में बहाना आदि। पहले के समय में पानी भरपूर मात्रा में मिलता था। किसी भी प्रकार का प्रदूषित जल नहीं था और यदि होता भी था तो नदिया खुद ही जल को साफ कर लेती थी  लेकिन आज प्रदूषण बढ़ गया है नदिया बहुत गंदी होने के कारण खुद ही पानी को साफ नहीं कर पा रही है। हममें से अधिकतर यह समझते है कि हमारे पास तो भरपूर मात्रा में पानी है जब मन चाहा टैंकर मांगा लेंगे और जब मनचाहा बोरिंग करा लेंगे। मैं कितना भी पानी निकाल लूं इससे किसी को कोई मतलब नहीं। जितना मन चाहे पानी निकालूं। इसलिए कि बोरिंग मेरी जमीन पर है। अधिकतर लोगों की सोच ही ऐसी है हमें ऐसी सोच को बदलना होगा। बारिश के जल को संचित कर उसे बचाना आज हमारी प्रथम जरूरत बन गयी है। बारिश के पानी को बचाने के लिए छोटे-छोटे तालाब और कुएं आदि को जगह-जगह बनवाने चाहिए। अधिक पौधे लगाने चाहिए जिससे अधिक से अधिक बारिश हो सके। दूषित पानी को साफ करने के सरकार को अनेक कदम उठाने चाहिए। जिससे की उस गंधे पानी को साफ कर के उसका उपयोग दोबारा किया जा सके।

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