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साँई कम्‍प्‍यूटर टायपिंग इंस्‍टीट्यूट गुलाबरा छिन्‍दवाड़ा म0प्र0 संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565

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लोकतंत्र के महापर्व का पहला चरण शांतिपूर्वक सम्‍पन्‍न होना यह दर्शाने के लिए पर्याप्‍त हैं कि देश का अब परिपक्‍व हो चुका है। तीन दशक पहले तक पश्चिम बंगाल केरल, उत्तरप्रदेश और बिहार में चुनाव का मतलब हिंसा ही समझा जाता था। इस दौरान हिंसा में बड़ी संख्‍या में लोगो के मरने और मतदान केंद्रों पर कब्‍जे की खबरें आया करती थी, लेकिन पिछले कुछ वर्षो में मााहोल बदला है। इस बार लोकसभा चुनाव के पहले चरण में छिटपुट हिंसा को छोड़ मतदान का सुचारू चलना तो अहम रहा ही, संतोष इस बात का भी है कि मतदाओं ने संख्‍या में इस पर्व पर अपने मत की आहुति दी। यह तथ्‍य इसलिए भी महत्‍वूपर्ण हैं कि लोकतांत्रिका देशों में कोई भी दूसरा देश नहीं है जिसकी आबादी भारतीय मतदाताओं के बराबर हो। इसके बावजूद देश के विभिन्‍न स्‍थानों पर व्‍यवस्थित तरीके से चुनाव होना भारतीय व्‍यवस्‍था की सफलता है। अलग-अलग धर्म, जाति, खानपान और भौगिलिक विषमताओं वाले देश में शांति से होने वाले चुनाव हमारे लिए जहां गर्व का विषय हैं, वही दूसरी देशों के लिए आर्श्‍चय।  
दो महीने पहले पाकिस्‍तान में हुए आम चुनाव में जो हुआ, वह किसी से छिपा नहीं है। चुनाव में बाजी किसके हाथ लगेगी, सिर्फ अनुमान लगाए जा सकते है, जीते कोई भी। यह कहना होगा कि भारतीय लोकतंत्र और मजबूत होने की तरफ अग्रसर हो रहा है। इतना जरूर है कि हमारे यहां भी चुनाव को लेकर पक्ष विपक्ष में आरोप-प्रत्‍यारोप के दौर चल रहे है। यह भी लोकतंत्र की खूबी है। लोकतंत्र के मायने सिर्फ पांच साल में चुनाव होना भर नहीं है। लोकतंत्र का सच्‍चा अर्थ अभिव्‍यक्ति की आजादी भी है।    

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