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Malti Computer Center Tikamgarh
created Apr 15th, 03:11 by Ram999
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समय की बर्बादी आजकल मनोरंजन के नाम पर भी बहुत होती है। रेडियो, सिनेमा, खेल तमाशे, ताश, शतरंज आदि में हम नित्य ही अपना बहुत सा समय बर्बाद करते रहते हैं। महात्मा गांधी ने एक बार अपने पुत्र मणिलाल को पत्र में लिखकर कहा था किखेलकूद मनोरंजन का समय बारह वर्ष की उम्र तक ही है। आज हम इसमें अपना कितना वक्त खर्च करते हैं यह स्वयं ही अनुमान लगा सकते हैं। मनोरंजन खेल आदि को जीवन में केवल मन को एक रसता से मुक्त करने के लिए ही रखा जाना चाहिए और यह ध्यान रखा जाना चाहिए कि हमारा मनोरंजन उत्कृष्ट स्तर का हो और तनमन दोनों के लिए स्वास्थ्य प्रद हो, और उसकेलिए भी एक नियत समय रखना चाहिये। अपने आसपास का वातावरण, ऐसा रखना चाहिए कि अपना समय किसी कारण बर्बाद न हो। वक्त बर्बाद करने वाले दोस्तों से दूर की नमस्ते रखनी चाहिए। निठल्ले लोग ही अक्सर दूसरे का वक्त बर्बाद करने जा पहुंचते हैं। इन्हें दोस्तन हीं दुश्मन मानना ही उचित है। स्मरण रखिये समय बहुत मूल्यवान वस्तु है। इससे आप जितना लाभ उठा सकते हैं उठायें। आप वक्त को नष्ट करेंगे तो वक्त भी आपको नष्ट कर देगा। वक्त के सदुपयोग पर ही आप कुछ बन सकते हैं। समय बडा मूल्यवान है। उसे बडी कंजूसी से खर्च करना चाहिए। जितना अपने समय धन को बचाकर उसे आवश्यक उपयोगी कामो में लगावेंगे उतनी ही अपने व्यक्तित्व की महत्ता एवं कीमत अधिक होती जायगी। नियमित समय पर काम करने का अभ्यास डालें। इसकी आदत हो जाने पर आपको स्वयं ही इसमें आनन्द आने लगेगा।यदि मनुष्य प्रतिदिन किसी काम विशेष में अल्प समय भी लगा वें तो वह उस पर महत्वपूर्ण अधिकार प्राप्त कर सकता है। महामनी षीस्वेटमार्डेन ने कहा है, जीवन भर एक विषय में नियमित रूप से प्रतिदिन एक घण्टा लगाने वाला व्यक्ति उस विषय का विशेषज्ञ बन सकता है। समय को मामूली न समझें नियमित रूप से कोई भी काम आप करेंगे तो धीरे धीरे उसमें बहुत बडी योग्यता हासिल कर लेंगे यह निश्चित है। जरा विचार कीजिये आपको अमुक दिन अमुक ट्रेन से बम्बई जाना है। अगर आप ट्रेन के सीटी देने के एक मिनट बाद स्टेशन पहुंचे तो फिर आपको वह ट्रेन, वह दिन, वह समय कभी नहीं मिलेगा। निश्चित समय निकल जाने के बाद आप किसी जगह में जायें तो निश्चित है आपका काम नहीं होगा। अपने काम और समय का इस तरह मेल रखें कि उसमें एक मिनट का भी अन्तर न आये। तभी आप अपने समय का पूरा पूरा सदुपयोग कर सकेंगे। आलस्य समय का सबसे विकट शत्रु है। यह कई रूपों में मनुष्य पर अपना अधिकार जमा लेता है। कई बार कुछ काम किया कि विश्राम के बहाने हम अपने समय को बरबाद करने लगते हैं। वैसे बीमारी, तकलीफ आदि में विश्राम करना तो आलस्य नहीं है। थक जाने पर नींद के लिये विश्राम करना भी बुरा नहीं है। थकावट हो, नींद आये तो तुरन्त सो जायें लेकिन आंख खुलने पर उठ बैठें और काम में लग जाएं। अभी उठतेहैं, अभी उठतेहैं, कहते रहें तो यही आलस्य का मन्त्र है।आंखें खुलीं कि तुरन्त अपने काम में लग जायें।
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