Text Practice Mode
Malti Computer Center Tikamgarh
created Apr 11th, 02:45 by Ram999
0
490 words
9 completed
0
Rating visible after 3 or more votes
00:00
लिथूयानिया निवासी रैवी एलिजा के संबंध में कहा जाता है कि उसे विचित्र मानसिक शक्ति प्राप्त थी, पर उस पर उसका नियंत्रण न होने के कारण वह शक्ति भी जीवन में कुछ काम न आई। उसने अपने जीवन में दो हजार से अधिक पुस्तकों का एक बार पठन करके याद कर लिया था। कोई भी पुस्तक लेकर किसी भी पन्ने को खोल कर पूछने पर वह उसके एक एक अक्षर को दोहरा देता था। उसका मस्तिष्क सदैव क्रियाशील रहता था,इसलिये पुस्तकालय के बाद भी वह अपने हाथ में पुस्तक रखता था, दूसरे कामों सेचित्त हटते ही वह पुस्तकों का अध्ययन करने लग जाता था।पिल्सवरी अमेरिका के हैरी नेल्सन को भी ऐसी विलक्षण मानसिक शक्ति प्राप्त थी। उसे शतरंज का जादूगर कहा जाता था। वह एक साथ बीस शतरंज केप्रतिभागियों की चाल को याद रख सकता था। बीस बीस प्रतिभागियों से खेलते समय कई बार उसे मानसिक थकावट होने लगती थी, उस थकावट को उतारने के लिये वह ताश भी खेलने लगता था। जर्मनी के राजा की एक लाइब्रेरी प्रसा में थी। इसके लाइब्रेरियन मैथुरिन बेसिरे की आवाज संबंधी याददाश्त विलक्षण था। एक बार उसकी परीक्षा के लिये बारह देशों के राजदूत पहुंचे और उन्होंने अपनी अपनी भाषा में बारह वाक्य कहे। जब वे चुप हो गये तो बेसिरे ने बारहों भाषाओं के बारहों वाक्य ज्यों के त्यों दोहरा दिये। वह एक बार में ही कई व्यक्तियों की आवाज सुनता रहता था और आश्चर्य यह था कि सब की बातें उसे याद होती जाती थी। ऐसी विलक्षण प्रतिभा फ्रांस के विख्यात राजनीतिज्ञ लिआन गैम्बाटा और रिचार्ड पोरसन नामक ग्रीक पण्डित को भी उपलब्ध थी। आत्मा के गुण हैं सूक्ष्मता, चेतनता, अजर और अमर होना, इन गुणों की पुष्टि करने करने वाली महत्वपूर्ण घटना परसनैलिटी भाग एक में विख्यात मनोवैज्ञानिक मायर्स ने लिखा है कि अठारह वर्षी या अमरीकन बालिका टएनोविन्सर के मस्तिष्क में विक्षिप्तता आगई उस समय वह कई बार तो अपने आपको क्वेकर सम्प्रदाय का सदस्य बताती और उस समय जो भाषण देती वे ठीक क्वेकर दर्शन के भाषण होते।उसने अपने आपको एक बार बिट्रेन की रानी ऐन बताया और उस समय जो बातें कहीं पता लगाने पर मालूम हुआ कि वे सब सच थीं। यह निश्चेष्ट अवस्था में आंखें बन्द करके किसी भी पुस्तक का पठन कर सकती थी। बहुत समय तक उस पर परीक्षण करने वाले आयराबैरोज ने इस अवस्था में उस ने आसानी से धागा पिरो कर यह साबित कर दिया कि आत्मा स्वयं प्रकाश पूर्ण है, उसे देखने के लिये आंखें आवश्यक नहीं आंख, कान, नाक, आदिसब उसकी शक्तियां हैं। वह दूसरे कमरे में रखी घडी में क्या समय हो रहा यह बताकर सिद्ध करती थी कि आत्मा के लिये लाखों मील दूर तक देख सकने में भी कोई बाधा नहीं। वह उल्टी किताब का पठन कर लेती थी और सबसे अधिक आश्चर्य की बात यह थी कि वह सिर के ऊपर पुस्तक खोलकर जहां हिन्दू चोटी रखते हैं उस स्थान से पुस्तक का पठनकर देती थी मानो चोटी के स्थान पर आंख रही हो।
saving score / loading statistics ...