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साँई कम्प्यूटर टायपिंग इंस्टीट्यूट गुलाबरा छिन्दवाड़ा म0प्र0 संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565
created Apr 2nd, 11:32 by lucky shrivatri
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देश की सबसे बड़ी अदालत से लेकर राज्यों के हाईकोर्ट तक कई बार चुनावों के दौरान व्यक्तिगत छीटाकशी और अमर्यादित भाषा के इस्तेमाल को लेकर राजनीतिक दलों व उनके कार्यकर्ताओं को नसीहतें देते रहे है। यह अपेक्षा भी की जाती रही है कि सार्वजनिक जीवन में रहने वाले व्यक्ति दूसरों के प्रति आदर का भाव रखें। लेकिन चुनाव आते ही राजनीतिक दलों के नेताओं मे अपने प्रतिद्वंद्वियों को लेकर तिरस्कारपूर्ण भाषा के इस्तेमाल की जैसे होड़ सी लग जाती है। इन सबके बीच जब चुनाव आयोग भी ऐसे अमर्यादित आचरण को लेकर संबंधित लोगों को चेतावनी जारी करने की खानापूर्ति ही करता नजर आए तो चिंता होना स्वाभाविक है।
महिलाओं को लेकर अमर्यादित टिप्पणियों के पिछले दिनों हुए ऐसे ही दो प्रकरणों में चुनाव आयोग ने भाजपा नेता व कांग्रेस की नेत्री को चेतावनी भरी नसीहत देकर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर ली है। इन दोनों मामलों में से एक में कांग्रेस नेत्री मंडी से भाजपा प्रत्याशी व दूसरे में भाजपा नेता ने की थी। चुनाव आयोग ने इन दोनों नेताओं को आचार संहिता के दौरान सार्वजनिक बयानबाजी में सावधानी बरतने की सलाह दी है। साथ ही यह भी कहा है कि वह अब इनके बयानों पर और निगाह रखेगा। हालांकि दोनों ही मामलों में संबंधित नेताओं ने इसके लिए सफाई भी दी थी। लेकिन आयोग की यह फौरी कार्रवाई दूसरे नेताओं को अमर्यादित आचरण करने से रोक पाएगी, ऐसा लगता नही। जो नसीहत दी गई है वह तो आयोग पहले ही चुनाव आचार संहिता में उल्लेखित कर चुका है। सवाल इस आचार संहिता के उल्लंघन का है आयोग के दिशा-निर्देशों को धता बताते हुए जब राजनेता मनमानी पर उतर आएं तो ठोस कार्रवाई ही ऐसी मनमानी को रोक सकती है। चिंता की बात यही है कि चुनाव कार्यक्रम का ऐलान करते वक्त जिस अंदाज में आयोग की ओर आचार संहिता की कठोरता से पालना कराने की बात कही जाती है, वह कठोरता इसका उल्लंघन करने वालों पर कार्रवाई के दौरान नजर नहीं आती।
चुनाव आयोग की शक्तियां व्यापक हैं, इसमें संदेह नहीं। लेकिन इन शक्तियों का इस्तेमाल भी तभी संभव होगा जब नियमों की अनदेखी करने पर ठोस सजा का प्रावधान भी किया जाए। आचार संहिता के उल्लंघन की जानकारी आम लोगों से मांगने के लिए चुनाव आयोग ने जो सी-विजिल ऐप बनाया है, उसका भी बेहतर इस्तेमाल किया जाना चाहिए। इसके लिए मतदाओं को जागरूक भी करना होगा।
महिलाओं को लेकर अमर्यादित टिप्पणियों के पिछले दिनों हुए ऐसे ही दो प्रकरणों में चुनाव आयोग ने भाजपा नेता व कांग्रेस की नेत्री को चेतावनी भरी नसीहत देकर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर ली है। इन दोनों मामलों में से एक में कांग्रेस नेत्री मंडी से भाजपा प्रत्याशी व दूसरे में भाजपा नेता ने की थी। चुनाव आयोग ने इन दोनों नेताओं को आचार संहिता के दौरान सार्वजनिक बयानबाजी में सावधानी बरतने की सलाह दी है। साथ ही यह भी कहा है कि वह अब इनके बयानों पर और निगाह रखेगा। हालांकि दोनों ही मामलों में संबंधित नेताओं ने इसके लिए सफाई भी दी थी। लेकिन आयोग की यह फौरी कार्रवाई दूसरे नेताओं को अमर्यादित आचरण करने से रोक पाएगी, ऐसा लगता नही। जो नसीहत दी गई है वह तो आयोग पहले ही चुनाव आचार संहिता में उल्लेखित कर चुका है। सवाल इस आचार संहिता के उल्लंघन का है आयोग के दिशा-निर्देशों को धता बताते हुए जब राजनेता मनमानी पर उतर आएं तो ठोस कार्रवाई ही ऐसी मनमानी को रोक सकती है। चिंता की बात यही है कि चुनाव कार्यक्रम का ऐलान करते वक्त जिस अंदाज में आयोग की ओर आचार संहिता की कठोरता से पालना कराने की बात कही जाती है, वह कठोरता इसका उल्लंघन करने वालों पर कार्रवाई के दौरान नजर नहीं आती।
चुनाव आयोग की शक्तियां व्यापक हैं, इसमें संदेह नहीं। लेकिन इन शक्तियों का इस्तेमाल भी तभी संभव होगा जब नियमों की अनदेखी करने पर ठोस सजा का प्रावधान भी किया जाए। आचार संहिता के उल्लंघन की जानकारी आम लोगों से मांगने के लिए चुनाव आयोग ने जो सी-विजिल ऐप बनाया है, उसका भी बेहतर इस्तेमाल किया जाना चाहिए। इसके लिए मतदाओं को जागरूक भी करना होगा।
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