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साँई कम्प्यूटर टायपिंग इंस्टीट्यूट गुलाबरा छिन्दवाड़ा म0प्र0 संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565
created Mar 16th, 04:34 by lucky shrivatri
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एक शहर में एक परिश्रमी, ईमानदार और सदाचारी लड़का रहता था, माता-पिता, भाई-बहन मित्र रिश्तेदार सब उसे बहुत प्यार करते थे, सबकी सहायता को तत्पर रहने के कारण पड़ोसी से लेकर सहकर्मी तक उसका सम्मान करते थे, सब कुछ अच्छा था, किंतु जीवन में वह जिस सफलता प्राप्ति का सपना देखा करता था, वह उसे उससे कोसों दूर था। वह दिन-रात जी जान लगाकर मेहनत करता, किंतु असफलता ही उसके हाथ लगती। उसका पूरा जीवन ऐसे ही निकल गया और अंत में जीवनचक्र से निकलकर वह कालचक्र में समा गया। चूंकि उसने जीवन में सुकर्म किये थे, इसलिए उसे स्वर्ग की प्राप्ति हुई। देवदूत उसे लेकर स्वर्ग पहुंचे। स्वर्गलोक का अलौकिक सौंदर्य देख वह मंत्रमुग्ध हो गया और देवदूत से बोला, ये कौन सा स्थान है? ये सवर्गलोक है तुम्हारे अच्छे कर्म के कारण तुम्हें स्वर्ग में स्थान प्राप्त हुआ है। अब से तुम यहीं रहोगे, देवदूत ने उत्तर दिया। यह सुनकर लड़का खुश हो गया देवदूत ने उसे वह घर दिखाया जहां उसके रहने की व्यवस्था की गई थी, वह एक आलीशान घर था। इतना आलीशान घर उसने अपने जीवन में कभी नहीं देखा था।
जब वे उस कक्ष के अंदर पहुंचे तो लड़का यह देखकर दंग रह गया कि वहां कि वहां बहुत सरी वस्तुओं के छोटे-छोटे प्रतिरूप रखे हुए थे। ये वहीं वस्तुये थीं जिन्हें पाने के लिए उसने आजीवन मेहनत की थी। किंतु हासिल नहीं कर पाया था। आलीशान घर, कार, अच्चाधिकारी का पद और ऐसी ही बहुत सी चीजें, जो उसके सपनों में ही रह गए थे। वह सोचने लगा कि इन चीजों को पाने के सपने मैंने धरती में देखे थे, किंतु वहां तो मुझे मिले नहीं, अब यहां इनके छोटे प्रतिरूप इस तरह क्यों रखे हुए है। वह अपनी जिज्ञासा पर नियंत्रण नहीं रख पाया और पूछ बैठा, ये सब इस तरह इसके पीछे क्या कारण है।
देवदूत ने उसे बताया, मनुष्य अपने जीवन बहुत से सपने देखता है और उनके पूरा हो जाने की कामना करता है, किंतु कुछ ही सपनों के प्रति वह गंभीर होता है ओर उन्हें पूरा करने का प्रयास करता है। ईश्वर और ब्रह्माण्ड मनुष्य के हर सपने पूरा करने की तैयारी करते है, लेकिन कई बार असफलता प्राप्ति से हताश होकर ओर कई बार दृढ़ निश्चय की कमी के कारण मनुष्य उस क्षण प्रयास छोड़ देता है, जब उसके सपने पूरे होने वाले ही होते है, उसके वही अधूरे सपने यहां प्रतिरूप के रूप मे रखे हुए है। तुम्हारे सपने भी यहां प्रतिरूप के रूप में रखे है। तुमने अंत समय तक हार न मानी होती, तो उसे अपने जीवन में प्राप्त कर चुके होते। लड़के को अपने जीवन काल में की गई गलती समझ आ गई किंतु मृत्यु पश्चात अब वह कुछ नहीं कर सकता था।
जब वे उस कक्ष के अंदर पहुंचे तो लड़का यह देखकर दंग रह गया कि वहां कि वहां बहुत सरी वस्तुओं के छोटे-छोटे प्रतिरूप रखे हुए थे। ये वहीं वस्तुये थीं जिन्हें पाने के लिए उसने आजीवन मेहनत की थी। किंतु हासिल नहीं कर पाया था। आलीशान घर, कार, अच्चाधिकारी का पद और ऐसी ही बहुत सी चीजें, जो उसके सपनों में ही रह गए थे। वह सोचने लगा कि इन चीजों को पाने के सपने मैंने धरती में देखे थे, किंतु वहां तो मुझे मिले नहीं, अब यहां इनके छोटे प्रतिरूप इस तरह क्यों रखे हुए है। वह अपनी जिज्ञासा पर नियंत्रण नहीं रख पाया और पूछ बैठा, ये सब इस तरह इसके पीछे क्या कारण है।
देवदूत ने उसे बताया, मनुष्य अपने जीवन बहुत से सपने देखता है और उनके पूरा हो जाने की कामना करता है, किंतु कुछ ही सपनों के प्रति वह गंभीर होता है ओर उन्हें पूरा करने का प्रयास करता है। ईश्वर और ब्रह्माण्ड मनुष्य के हर सपने पूरा करने की तैयारी करते है, लेकिन कई बार असफलता प्राप्ति से हताश होकर ओर कई बार दृढ़ निश्चय की कमी के कारण मनुष्य उस क्षण प्रयास छोड़ देता है, जब उसके सपने पूरे होने वाले ही होते है, उसके वही अधूरे सपने यहां प्रतिरूप के रूप मे रखे हुए है। तुम्हारे सपने भी यहां प्रतिरूप के रूप में रखे है। तुमने अंत समय तक हार न मानी होती, तो उसे अपने जीवन में प्राप्त कर चुके होते। लड़के को अपने जीवन काल में की गई गलती समझ आ गई किंतु मृत्यु पश्चात अब वह कुछ नहीं कर सकता था।
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