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JR CPCT INSTITUTE, TIKAMGARH (M.P.) 8th Aug 2021 Shift 2 mobile no. 8516021564 CPCT ADMISSION OPEN

created Mar 12th, 04:27 by AnoopKhare


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जैसे जल बिन मछली की हालत होती है वही हाल आज कल हमारा हमारे फोन के बिना होता है। हमारा फोन हर वक्त हमारे पास हमारे हाथ में या है चै मै जेब में होता है। इसे दो घंटे अपने से हूर करें, अगर आपको अजीब सी बेचैनी, खालीपन, अरूचि या मैसेज चेक करने की जरूरत महसूस हो तो समझ लें आपको या उपवास की जरूरत है। हम अपने टीवी, फोन इत्यादि इलेक्ट्रॉ निक सब गैजेट के गुलाम हो चुके हैं। नींदनीं की कमी हमारा बैंड बजा रही है। सेहत पर इस छोटे से मोबाइल का बहुत बुरा असर हो रहा है। लेकिन यह मोबाइल ना मिले तो हम ऐसे असहाय महसूस करते हैं जैसे स्पाइडर मैन ने अपनी जाल बुनने की शक्ति खो दी हो या थोर ने अपना हैमर हम मानसिक तौर पर बेवजह खर्च होते रहते हैं। मूड स्विंग्स होते हैं। शारीरिक गतिविधि तो स्वयंमेव ही कम हो जाती है। सोचने का विषय यह है यह लत कम होने के बजाय अधिक से अधिक होती चली जाती है। यह इसलिए है कि नोटिफिकेशन देखकर डोपामाइन केमिकल के कारण हमें बहुत संतुष्टि या खुशी मिलता है। गेमिंग इतनी डोपामाइन देती है, फीलगुड करवाती है कि बच्चे तो बच्चे, बुजुर्ग भी इस सब से बच नहीं पाते। यह सब उपलभ्ध ना होने पर तनाव होता है, हमारा व्यवहार आक्रमक होता है, हम आस पास से कटते जाते हैं, एक आभासी दुनिया में जीना शुरू कर देते हैं। हमारा खुद के लिए अपनों के साथ बिताया जाने वाला समय प्रभावित होता है। इस लत को नोमोफोबिया भी कहते हैं। स्क्रीन की लाइट नींदनीं को बाधित करती है। शरीर अव्यवस्थित हो जाती है। हमारे शरीर में मेलाटोनिन होता है, जो अंधेरे में सोने का संकेत देता है। स्क्रीन लाइट के कारण यह संकेत अस्त व्यस्त हो जाता है। यह डीसिंक्रोनाइज हो जाती है। सोने की कोशिश करने के बावजूद हमें नींदनीं नहीं आती, और क्योंकिक्यों नींदनीं नहीं आती तो हम फिर से मोबाइल की शरण में चले जाते हैं। यह विचित्र मायाजाल है। अनुसंधान से ज्ञान से हुआ है कि सत्तर प्रतिशत लोग मोबाइल स्क्रीन को देखते समय आंखों को संकुचित करते हैं, इससे आंखों के सूखेपर और जलन की बीमारी होती है, जिसे कंप्यूटर विजन सिंड्रो कहा जाता है। लगातार कंप्यूटर का प्रयोग गर्दन में दर्द की शिकायत पैदा कर देता है, जो कि अब आम होती जा रही है। हम समाजिक व्यवहार, और बातचीत का गुण भूल रहे हैं वह अलग से। तो इससे समाधान का उपाय यह है कि अब खुद को मोबाइल के लोभ या प्रलोभन से बचाया जाए। अपने मोबाइल के तमाम नोटिफिकेशन रखी जाएं। खुद को दिखावे की दुनिया से दूर रखा जाए, क्योंकिक्यों यह अनावश्यक तनाव ही देता है। फोन से बेवजह के सोशल मीडिया ऐप डिलीट किए जाएं, सिर्फ जरूरी एप ही फोन में रखे जाएं। जब आप कुछ समय खुद के लिए चाहते हों तो फोन को अपनी नजरों से दूर रखें। इन गैजेट से छुटकारा पाकर जो खाली समय मिले, उसमें जरूरी और सही मायने में खुशी देने वाले रचनात्मक कार्य करें, इस प्रकार हफ्ते में एक दिन इलेक्ट्रॉ निक उपवास कर आप अपने आपको अधिक जागृत एवं खुश पाएंगे।  

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