eng
competition

Text Practice Mode

बंसोड कम्‍प्‍यूटर टायपिंग इन्‍स्‍टीट्यूट छिन्‍दवाड़ा म0प्र0 प्रवेश प्रारंभ सीपीसीटी,पीजीडीसीए,डीसीए, की सम्‍पूर्ण तैयारी करवायी जाती है।

created Mar 11th, 06:23 by neetu bhannare


0


Rating

550 words
15 completed
00:00
भारत में प्राचीन समय से ही कई प्रकार के खेल खेले जाते हैं। विशेष रूप से बालक खेलने के बहुत अधिक शौकीन होते हैं। वे आस पास के क्षेत्र में पार्क और बगीचों में खेलते हैं। इसके साथ ही वे आमतौर पर पाठशालाओं में होने वाले खेलों में भी भागीदारी लेते हैं। पाठशाला में या जिला दरजे पर तथा राजकीय दरजे अथवा देशीय और अंतरदेशीय दरजे पर देश के युवाओं की अधिकतम भागीदारी के लिए बहुत सी खेल गतिविधियों का आयोजन किया जाता है। हालांकि देशीय और अंतरदेशीय दरजे पर जैसे ओलंपिक या एशियाई खेलों में भारत के युवाओं ने बढ चढकर भाग लिया है। प्राचीन यूनानी काल में कई तरह के खेलों की परंपरा थी और ग्रीस के खेलों के विकास ने काफी प्रभावित किया। खेल उनकी तहजीब का एक ऐसा प्रमुख अंग बन गया कि यूनान ने ओलंपिक खेलों का आयोजन करना शुरू कर दिया जो प्राचीन समय में हर चार साल पर पेलोपोनिस के एक छोटे से गांव में ओलंपिया नाम से आयोजित किये जाते थे। खेल को पूर्ण अनुरक्षित रूप सर्वप्रथम यूनानियों ने ही दिया था। उनके नागरिक अनुरक्षण में खेल की अहम जगह थी। उस युग में ओलिंपिक खेलों में विजय मानव की सबसे बडी सफलता समझी जाती थी। गीतकार उनकी प्रशंसा में गीत लिखते थे और कलाकार उनके चित्र तथा मूर्तियां बनाते थे। भारतीय एथलीट अंतरदेशीय दरजे के खेलों में अपनी मानक जगह को हासिल करने में बहुत हद तक कामयाब रहे हैं। वर्तमान समय में खेलों का क्षेत्र बढने के कारण आने वाले समय में वे और अधिक उचाईयों को छुयेंगे। भारतीय एथलीट हर देशीय और अंतरदेशीय दरजे के खेल में अपनी पूर्ण भागीदारी दिखा रहे हैं और लगातार गुणपूर्णता और मानकता हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं। भारतीय खिलाडियों ने पिछले ओलंपिक खेलों में बहुत से सोने के पदक जीते थे। वे बहुत ही साहस और जोश के साथ खेले थे जिसने दर्शकों को काफी मनमोहित किया। भारत हॉकी और क्रिकेट आदि कई खेलों में अग्रणी है।सबसे बढिया खिलाडी का चुनाव उन छात्रों में से किया जाता है जो पाठशाला दरजे और राजकीय दरजे पर बहुत बेहतर खेलते हैं। यह लोकप्रियता और सफलता पाने का बेहतर क्षेत्र बन गया है। यह शिक्षा से अलग नहीं है और यह भी जरूरी नहीं है कि यदि कोई बेहतर खेल खेलता है तो उसके लिए शिक्षा की जरूरत नहीं है या यदि कोई पढने में बढिया है तो खेलों में शामिल नहीं हो सकता। इसका अर्थ यह है कि कोई भी इंसान खेलों में भाग ले सकता हैं चाहे फिर वह शिक्षित हो या अशिक्षित। शिक्षा और खेल जीवन की सफलता के दो पहलू हैं। छात्रों के लिए पाठशालाओं में खेल खेलना अनिवार्य कर दिया गया है। इसके साथ ही शिक्षकों और अभिभावकों को उनके विकास के साथ उनका भावी कल बनाने के लिए खेलों के लिए भी प्रेरित करना चाहिए। खेल बहुत तरीकों से हमारे जीवन को पोषित करने का कार्य करते हैं। ये हमें अनुशासन और अपनी मंजिल को हासिल करने के लिए निरंतर कार्य और साधना करना सिखाते हैं। इसके साथ ही ये हमें शारीरिक और मानसिक रूप से सेहतमंद रखते हैं और इस प्रकार हमें सामाजिक तथा मानसिक दोनों रूपों से ठीक रखते हैं। मनोरंजन मन को एकाग्र करने का बेहतर तरीका है। यह एकाग्रता को बढाता है और दिमाग को आशावादी विचारों से परिपूर्ण कर देता है।
 

saving score / loading statistics ...