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created Feb 22nd, 05:53 by shilpa ghorke


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इंसान अपनी पैदाइश से जहां निवास करता है वह उसका परिवार होता है। इसके आलावा विवाह के बाद बनने वाले कुछ प्रमुख संबंध परिवार के भीतर आते हैं। यह जरूरी नहीं की इंसान के बीच खून या विवाह का संबंध हो तभी वह समूह परिवार कहलायेगा। इन सब के आलावा यदि परिवार से किसी शिशु को गोद लिया जाता है अपनाया जाता है तो वह शिशु भी परिवार का अंग होगा। परिवार इंसान के जीवन की सबसे खास जरूरत है। एकीकृत परिवार जिसमें हमारे बडे बुजुर्ग दादा दादी नाना नानी हमारे साथ रहते हैं जो ज्ञान और अनुभव की कुंजी होते हैं। बालक खेलने के समय पर खेलते तथा दादा दादी की कहानीयां भी सुनते जिससे उनको ज्ञान मिलता है। एकीकृत परिवार ने कहीं कहीं बालकों के बचपन को बेहतर बनाया है। जैसा की हम सभी जानते हैं समाज में दो प्रकार के परिवार पाए जाते हैं मूल तथा एकीकृत परिवार। जिस प्रकार हर चीज के दो पहलू होते हैं ठीक उसी प्रकार परिवार के दोनों रूपों से जुडे कुछ लाभों के रूप हैं। एकीकृत परिवार में माता पिता के घर में रहने पर भी बालक दादा दादी या बाकि बडों की निगरानी में रहते हैं जिससे वह अकेला महसूस नहीं करते हैं। जबकि मूल परिवार में माता पिता के घर पर होने के दौरान बालकों का विकास अलग दरजे पर होता है। एकीकृत परिवार की मौजूदगी में बालकों को घर में ही खेलने का उचित वातावरण मिल जाता है जिसमें वह अपने बडों के साथ खेल सकते हैं। इसके विपरीत मूल परिवार में बालकों को यदि खेलना है तो बाहर के लोगों के साथ मिल कर खेलना होता है जिससे आपसी मेलजोल बढता है। इंसान के बूढे हो जाने पर अपने बालकों की सबसे अधिक जरुरत होती है इसलिए एकीकृत परिवार की अवधारणा से इंसान सकुशल अपने परिवार की देख रेख में रहता है। इसके विपरीत मूल परिवार में बालकों के दादा दादी उनसे दूर होकर भी बहुत हद तक एक दूसरे से जुडे रहते हैं। एकीकृत परिवार में लोग अधिक होने की वजह से आर्थिक दशा मजबूत हो जाती है। मूल परिवार में कम लोग होने से आर्थिक खर्च कम ही होता है और अधिक रूपए की जरुरत नहीं पडती है। परिवार में अधिक लोगों के एक साथ रहने से आपसी प्रेम की अधिक संभावनाएं रहती हैं। मूल परिवार में दूर रहने से यह प्रेम और अधिक अगाध हो जाता है। एकीकृत परिवार में कभी कभी एक दूसरे की तुलना में कम आमदनी होने पर भी लोग आपस में एक दूसरे की मदद करते हैं तथा अधिक आमदनी करने के लिए आपस में साथ बनाये रखते हैं। मूल परिवार में परिवार छोटा होने की वजह से इंसान अपनी आमदनी को सुचारू रूप से खर्च करने में सक्षम भी होता है। इंसान अपनी आमदनी में जीतनी सुख सुविधा मूल परिवार में अपने बालकों को दे सकता है उतना ही वह एकीकृत परिवार में आपसी प्रेम से उस सुख को बनाए रखता है। मूल परिवार में इंसान कम पैसे में ही अपने परिवार का पालन पोषण सही प्रकार से कर पाता है। इंसान के जीवन में मूल परिवार तथा एकीकृत परिवार के लाभ ही लाभ हैं। इंसान परिवार के किस रूप में रहता है यह जरूरी नहीं इंसान का परिवार में रहना जरूरी है। अर्थात इंसान के लिए परिवार का होना बहुत ही जरूरी है।

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