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साँई कम्प्यूटर टायपिंग इंस्टीट्यूट गुलाबरा छिन्दवाड़ा म0प्र0 संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565
created Dec 5th 2023, 13:21 by lovelesh shrivatri
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याची की ओर से उपस्थित विद्वान काउंसेल को सुनने और अभिलेख पर उपलब्ध सामग्री का परिशीलन करने के पश्चात यह प्रतीत होता है कि दोनों ही निचले न्यायालयों ने एक स्वर में याची के विरूद्ध अभिनिर्धारित किया और कोई दस्तावेजी साक्ष्य न पाते हुए किसी भी प्रकार का कोई अंतरिम आदेश पारित नहीं किया, इसलिए याची प्रभावित हो गया है। निचले न्यायालय दस्तावेजी साक्ष्य के विश्लेषण के पश्चात् एक ही निष्कर्ष पर पहुंचे कि कोई मामला नहीं बनता। इस प्रक्रम पर यह न्यायालय उचित प्रतीत करता है कि विद्वान अपर सेशन न्यायाधीश द्वारा पारित आदेश के पैराग्राफ संख्या 18 और 19 को प्रत्युत्पादित किया जाए।
मैने दस्तावेजी साक्ष्य, कागजातों, अभिवचनों और पक्षों द्वारा पेश की गई निर्णयज विधियों का परिशीलन किया। वर्तमान मामले के तथ्यों पर विचार करते हुए मैं इस निष्कर्ष पर पहुंचता हूं कि वादी ने वर्तमान वाद प्रतिवादियों को अनधिकृत निर्माण करने से निषिद्ध करने के लिए फाइल किया। प्रविादी संख्या 2 द्वारा फाइल किए गए लिखित कथन के परिशीलन से यह स्पष्ट है कि महुआ नगरपालिका द्वारा कोई अनुज्ञा प्रदान नहीं की गई है और वादी ने इस तथ्य के समर्थन में प्रतिवादी संख्या 2 द्वारा प्रतिवादी संख्या 4 को तारीख 10 फरवरी, 2021 और तारीख 11 मार्च 2022 को जारी की गई सूचनाओं को प्रस्तुत किया है। वादी द्वारा पेश किए गए दस्तावेजी साक्ष्य पर विचारोपरांत यह स्पष्ट हो जाता है कि वादी ने अपने दादा की संपत्ति पर स्वामित्व के संबंध में कोई भी दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किया है, यद्यपि प्रतिवादी संख्या 3 और 4 ने इस विवाद्यक को अपने लिखित कथन, जो इस रिट याचिका के साथ प्रदर्श-65 के रूप में प्रस्तुत किया गया है, में उठाया था फिर भी वादी ने इस पहलू पर अपने खंडन शपथ पत्र जिसे इस रिट याचिका के साथ प्रदर्श-65 के रूप में प्रस्तुत किया गया है, में एक शब्द का भी उल्लेख नहीं किया है। वादी ने मौखिक दलीलों के दौरान वादग्रस्त संपत्ति के स्वामित्व के संबंध में एक भी शब्द का उल्लेख नहीं किया है कि उसने किस प्रकार से अपने स्वर्गीय दादा की वादग्रस्त संपत्ति की देख-रेख की, यद्यपि वादी के मामले को प्रथमदृष्टया साबित किए जाने के प्रयोजनार्थ उसके पैरो पर खड़ा करना था। वर्तमान मामले के तथ्यों के आधार पर यह स्पष्ट है कि प्रतिवादी संख्या 2 और 3 वादग्रस्त संपत्ति पर अनधिकृत निर्माण कर रहे हैं, किंतु वादी ने वाद में अंतर्वलित वादग्रस्त संपत्ति के सही विवरण का उल्लेख नहीं किया है।
मैने दस्तावेजी साक्ष्य, कागजातों, अभिवचनों और पक्षों द्वारा पेश की गई निर्णयज विधियों का परिशीलन किया। वर्तमान मामले के तथ्यों पर विचार करते हुए मैं इस निष्कर्ष पर पहुंचता हूं कि वादी ने वर्तमान वाद प्रतिवादियों को अनधिकृत निर्माण करने से निषिद्ध करने के लिए फाइल किया। प्रविादी संख्या 2 द्वारा फाइल किए गए लिखित कथन के परिशीलन से यह स्पष्ट है कि महुआ नगरपालिका द्वारा कोई अनुज्ञा प्रदान नहीं की गई है और वादी ने इस तथ्य के समर्थन में प्रतिवादी संख्या 2 द्वारा प्रतिवादी संख्या 4 को तारीख 10 फरवरी, 2021 और तारीख 11 मार्च 2022 को जारी की गई सूचनाओं को प्रस्तुत किया है। वादी द्वारा पेश किए गए दस्तावेजी साक्ष्य पर विचारोपरांत यह स्पष्ट हो जाता है कि वादी ने अपने दादा की संपत्ति पर स्वामित्व के संबंध में कोई भी दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किया है, यद्यपि प्रतिवादी संख्या 3 और 4 ने इस विवाद्यक को अपने लिखित कथन, जो इस रिट याचिका के साथ प्रदर्श-65 के रूप में प्रस्तुत किया गया है, में उठाया था फिर भी वादी ने इस पहलू पर अपने खंडन शपथ पत्र जिसे इस रिट याचिका के साथ प्रदर्श-65 के रूप में प्रस्तुत किया गया है, में एक शब्द का भी उल्लेख नहीं किया है। वादी ने मौखिक दलीलों के दौरान वादग्रस्त संपत्ति के स्वामित्व के संबंध में एक भी शब्द का उल्लेख नहीं किया है कि उसने किस प्रकार से अपने स्वर्गीय दादा की वादग्रस्त संपत्ति की देख-रेख की, यद्यपि वादी के मामले को प्रथमदृष्टया साबित किए जाने के प्रयोजनार्थ उसके पैरो पर खड़ा करना था। वर्तमान मामले के तथ्यों के आधार पर यह स्पष्ट है कि प्रतिवादी संख्या 2 और 3 वादग्रस्त संपत्ति पर अनधिकृत निर्माण कर रहे हैं, किंतु वादी ने वाद में अंतर्वलित वादग्रस्त संपत्ति के सही विवरण का उल्लेख नहीं किया है।
