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साँई कम्प्यूटर टायपिंग इंस्टीट्यूट गुलाबरा छिन्दवाड़ा म0प्र0 संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565
created Nov 29th 2023, 10:41 by lovelesh shrivatri
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एक दुष्ट व्यक्ति एक पहुंचे हुए महात्मा के पास गया और उनके चरण स्पर्श करके बोला, महात्मा जी मैंने अपने जीवन में बहुत पाप किए है। लोगों को बहुत दुख दिए है। अब मैं जान चुका हूं, बुरे का अंत बुरा ही होता है। अत: मैं एक अच्छा इंसान बनना चाहता हूं। महात्मा जी ने कहा, इसके लिए तुम्हें बहुत सहनशील, त्यागी बनकर काफी मेहनत करनी पड़ेगी। तब कहीं जाकर तुम अच्छे इंसान बन पाओगे। मैं हर कार करने को तैयार हूं जिससे मैं अच्छा इंसान बन सकूं। वह व्यक्ति बोला। तुमने कभी गंदे नाले का पानी बहते हुए देखा है? ऐसे ही गंदे नाले के पानी जैसी तुम्हारी स्थिति हो गई है। अब ऐसे पानी को साफ, स्वच्छ और उपयोगी बनाने के लिए दो ही उपाय है। पहला ऐसा पानी लगातार नाले से बहता हुआ इतनी दूर तक प्रवाहित हो कि उसमें कोई गंदगी न मिल सके और पत्थरों के घर्षण से उसका जल शुद्ध हो जाए। दूसरा उपाय वह सूर्य की किरणों से इतना तप जाए कि वाष्प बनकर आकाश में पहुंच जाए और ठंडा होकर पुन: पृथ्वी पर शुद्ध जल के रूप में आए। दुष्ट व्यक्ति ने महात्मा जी के चरण स्पर्श करते हुए कहा, मैं आपका आशय समझ गया हूं। अब मैं अपनी जिंदगी में किसी भी प्रकार के कुविचार नहीं लाऊंगा और न ही किसी का अंहित करूंगा। सत्य ईमानदारी, धैर्य, परोपकार और मेहनत से काम करूंगा। महात्मा जी ने उसको आशीर्वाद दिया।
