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साँई कम्‍प्‍यूटर टायपिंग इंस्‍टीट्यूट गुलाबरा छिन्‍दवाड़ा म0प्र0 संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565

created Nov 29th 2023, 04:15 by Sai computer typing


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आतंकवाद को लेकर पाकिस्‍तान की कथनी और करनी का अंतर फिर उजागर हुआ है। इस बार मामला ज्‍यादा गंभीर है। भारतीय सेना की उत्तरी कमान के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल  उपेंद्र द्विवेदी का दावा है कि जम्‍मू-कश्‍मीर के राजौरी और पुंछ जिलों में सक्रिय 20-25 आतंकियों में पाकिस्‍तान के सेवानिवृत्त  फौजी शामिल है। पाकिस्‍तान में जमें आतंकवादी संगठन पहले कश्‍मीर के युवक को बहला-फुसला कर अपने साथ कर लेते थे। अब कश्‍मीर युवकों का आतंकवाद से मोहभग हो चुका है। घाटी में इन संगठनों की भर्तियां बंद हो गई है। ऐसे में कश्‍मीर में गडबड़ी फैलाने के लिए पाकिस्‍तान अपने सेवानिवृत्त फौजियों को झोंक रहा है।  
दरअसल, 2019 में अनुच्‍छेद 370 हटने के बाद जम्‍मू-कश्‍मीर की आबो-हवा काफी बदल चुकी है। भारतीय सेना पर पत्‍थर फेंकने वाली भीड़ गायब है। शांति बहाली का असर केसर की क्‍यारियों, डल झील को घेरकर खड़े पहाड़ों से लेकर गुलमर्ग में फैली बर्फ तक महसूस किया जा सकता है। घाटी के पर्यटन उद्योग को नई ऑक्‍सीजन मिली है। यही तस्‍वीर पाकिस्‍तान की आंख किरकिरी बनी हुई है। जम्‍मू-कश्‍मीर में निकट भविष्‍य में होने वाले विधानसभा चुनाव ने भी उसकी बेचैनी बढ़ा रखी है। वह घाटी में गडबड़ी फैलाने की साजिश में जुटा रहता है। भारत के साथ अब तक के चारों सामरिक युद्ध में पाकिस्‍तान ने मात खाई, पर कश्‍मीर राग अलापना बंद नहीं किया जोकि अब अंतरराष्‍ट्रीय मंचों पर सुना ही नहीं जाता। बौखलाहट में पाकिस्‍तान जम्‍मू-कश्‍मीर में छद्म युद्ध जारी रखना चाहता है। वह पंजाब में भी ड्रोन भेजता रहता है, पर वहां भी उसके नापाक मंसूबों को जमीन नहीं मिल रही है। हमारे लिए चिंता की सबसे बड़ी बात यह है कि कुछ समय से आतंकी जम्‍मू-कश्‍मीर के आम लोगों के साथ हमारे सैनिकों को भी निशाना बना रहे है। पिछले हफ्ते राजौरी जिले की मुठभेड़ में सेना के दो अफसरों समेत पांच जवानों का शहीद होना बड़ा झटका है। आबादी वाले इलाकों के बजाय आतंकी अब घने जंगलों और गुफाओं में ठिकाने बना रहे है। मुठभेड़ के दौरान उन्‍हें बिलों से निकालना बड़ी चुनौती बन जात है।    

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