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साँई कम्प्यूटर टायपिंग इंस्टीट्यूट गुलाबरा छिन्दवाड़ा म0प्र0 संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565
created Nov 25th 2023, 06:50 by Sai computer typing
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इजरायल हमास के बीच जारी युद्ध किस करवट बैठेगा, इसकी कोई भविष्यवाणी नहीं कर सकता। डेढ़ माह से चल रहे इस युद्ध का सार अभी तक यही निकला है कि इजराइल पूरी ताकत लगाने के बावजूद अपने मिशन में कामयाब नहीं हो पाया है। न तो वह हमास को खत्म कर पाया है और न ही बंधक बनाए गए अपने लोगों को छुड़ा पाया है। पैतालीस दिन से चल रहे इस युद्ध का एक और निचोड़ सामने आ रहा है। वह यह है कि करीब चौदह हजार लोगों की मौत हो चुकी है और इससे दोगुने घायल हुए है। खास बात यह है कि मरने वालों में अधिकतर महिलाएं और बच्चे है। इस युद्ध से जुड़े अनेक सवाल अहम है, लेकिन इनका जवाब देने वाला कोई नहीं है। दो देशों के बीच युद्ध में निर्णायक अथवा मध्यस्थ की भूमिका निभाने वाला संयुक्त राष्ट्र भी युद्ध समाप्त करने की अपील से अधिक कुछ नहीं कर पा रहा। पहले भी ऐसे मौकों पर वह कुछ नहीं कर पाया था। इसलिए उसकी प्रासंगिकता पर भी सवाल उठते रहते है। अहम सवाल यह भी है कि क्या युद्ध के बिना बंधकों को नहीं छुड़ाया जा सकता? गाजा पट्टी में मानवीय सहायता की अपील करने वाला अमरीका, इजरायल को हथियार और गोला-बारूद मुहैया करवा रहा है। वही गोला-बारूद गाजा पट्टी के निहत्थे लोगों पर दागा जा रहा है। ऐसे में युद्ध को समाप्त करने की कोई भी पहल सार्थक साबित हो तो कैसे। उधर रूस और यूक्रेन युद्ध भी 600 से अधिक दिन से चल रहा है। इस युद्ध में दस हजार से अधिक मौते हो चुकी है। इस युद्ध में एक तरफ रूस है तो दूसरी तरफ यूक्रेन है, जिसके पीछे अमरीका खड़ा है। नि:संदेह हमास ने इजरायल पर जिस तरह की बर्बरता की, उसकी जितनी निंदा की जाए उतनी ही कम है। सवाल यह है कि गाजा पट्टी पर इजरायली हमलों में निर्दोष लोग जिस तरह से मारे जा रहे है, क्या बदले की कार्यवाई की आड़ में वह भी हमास जैसी बर्बरता नहीं है? शरणार्थी शिविरों, स्कूलों और अस्पतालों पर बमबारी को तो किसी भी तरह से न्यायसंगत नहीं माना जा सकता। यह भी बर्बरता ही है, जिसका समर्थन नहीं किया जा सकता है। इजरायल पर हमले के लिए हमास दोषी है, तो उसे सबक सिखाया जा सकता है। लेकिन जवाबी कार्रवाई के नाम पर निहत्थे लोगों को निशाना बनाने का तो कोई समर्थन कैसे कर सकता है।
