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साँई कम्प्यूटर टायपिंग इंस्टीट्यूट गुलाबरा छिन्दवाड़ा म0प्र0 संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565
created Nov 23rd 2023, 07:36 by Sai computer typing
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विधानसभा चुनाव वाले राज्यों में आचार संहिता लागू होने के बाद जब्त की गई नकीद, शराब आभूषण और अन्य सामग्री की जब्ती का आकड़ा चौकाने वाला है। चुनाव आयोग ने खुलासा किया कि विधानसभा चुनाव वाले पांच राज्यों में अब तक 1760 करोड़ रूपए की नकदी व अन्य सामग्री जब्त की गई है। जब्ती का यह आंकड़ा इसलिए भी चौकाता है क्योंकि पांच साल पहले इन्ही पांच राज्यों में हुए चुनावों के मुकाबले यह जब्ती बहुत ज्यादा है। तब यह सामग्री 239 करोड रूपए की ही आंकी गई थी। यानी यह कहा जा सकता हैं कि चुनावों में धन के साथ-साथ प्रलोभन देने वाली दूसरी सामग्री का प्रवाह लगातार जारी है।
राजस्थान व तेलंगाना में मतदान क्रमश: 25 और 30 नवम्बर को है। इस लिहाज से जब्ती का अभियान अभी जारी रहेगा। चुनाव आयोग के तलाशी अभियान में यह आंकड़ा आने वाले दिन में और बढ़ जाए तो अचरज नहीं होना चाहिए। चुनाव जब भी होते हैं, यह माना जाता है कि उम्मीदवारों की तरफ से दिए जाने वाले प्रलोभन नकद राशि से लेकर किसी अन्य वस्तु में दिया जाता रहा है। मतदान के एक-दो दिन पहले सूखा दिवस घोषित होने के बावजूद बस्तियों में शराब बांटने के किस्से भी कम नहीं हुए है। चुनाव आयोग के ये आंकड़े इसलिए डराते है क्योंकि लोकतंत्र में जिस बुराई को खत्म करने के प्रयासों की खुद राजनीतिक दल और उम्मीदवार वकालत करते है, उसी मुफ्तखोरी को वे बढ़ावा देने से भी नहीं चुकते। वह इसलिए भी कि जो जब्ती हुई हैं, उसमें अवैध तरीके से भण्डारण कर रखा गया उर्वरक और पेट्रोल-डीजल भी शामिल है। नकदी व शराब के साथ दूसरी सामग्री मतदाताओं के बीच पहुंचाने के ये प्रयास भी राजनीति में कथनी व करनी में अंतर को बताने वाले है। चुनाव आयोग यह कहकर अपनी पीठ थपथपा सकता है कि उसके इलेक्शन एक्सपेंडिचर मॉनिटर सिस्टम की वजह से जब्ती का यह आंकड़ा बढ़ा है। लेकिन एक पक्ष यह भी है कि सख्त निगरानी के बावजूद चनाव में मतदाताओं को प्रलोभन देने के प्रयास कम होते नहीं दिख रहे। जितना कुछ बरामद हुआ है वह तो आधा-अधूरा ही है। एक हद तक आयोग के निगरानी तंत्र से बचकर नकदी, आभूषण व शराब जैसी सामग्री मतदाताओं तक पहुंच भी गई होगी।
राजस्थान व तेलंगाना में मतदान क्रमश: 25 और 30 नवम्बर को है। इस लिहाज से जब्ती का अभियान अभी जारी रहेगा। चुनाव आयोग के तलाशी अभियान में यह आंकड़ा आने वाले दिन में और बढ़ जाए तो अचरज नहीं होना चाहिए। चुनाव जब भी होते हैं, यह माना जाता है कि उम्मीदवारों की तरफ से दिए जाने वाले प्रलोभन नकद राशि से लेकर किसी अन्य वस्तु में दिया जाता रहा है। मतदान के एक-दो दिन पहले सूखा दिवस घोषित होने के बावजूद बस्तियों में शराब बांटने के किस्से भी कम नहीं हुए है। चुनाव आयोग के ये आंकड़े इसलिए डराते है क्योंकि लोकतंत्र में जिस बुराई को खत्म करने के प्रयासों की खुद राजनीतिक दल और उम्मीदवार वकालत करते है, उसी मुफ्तखोरी को वे बढ़ावा देने से भी नहीं चुकते। वह इसलिए भी कि जो जब्ती हुई हैं, उसमें अवैध तरीके से भण्डारण कर रखा गया उर्वरक और पेट्रोल-डीजल भी शामिल है। नकदी व शराब के साथ दूसरी सामग्री मतदाताओं के बीच पहुंचाने के ये प्रयास भी राजनीति में कथनी व करनी में अंतर को बताने वाले है। चुनाव आयोग यह कहकर अपनी पीठ थपथपा सकता है कि उसके इलेक्शन एक्सपेंडिचर मॉनिटर सिस्टम की वजह से जब्ती का यह आंकड़ा बढ़ा है। लेकिन एक पक्ष यह भी है कि सख्त निगरानी के बावजूद चनाव में मतदाताओं को प्रलोभन देने के प्रयास कम होते नहीं दिख रहे। जितना कुछ बरामद हुआ है वह तो आधा-अधूरा ही है। एक हद तक आयोग के निगरानी तंत्र से बचकर नकदी, आभूषण व शराब जैसी सामग्री मतदाताओं तक पहुंच भी गई होगी।
