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साँई कम्‍प्‍यूटर टायपिंग इंस्‍टीट्यूट गुलाबरा छिन्‍दवाड़ा म0प्र0 संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565

created Nov 23rd 2023, 04:24 by lucky shrivatri


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अभिभावकों की बढ़ती उम्‍मीदें कहीं कहीं कोचिंग संस्‍थानों में पढ़ाई कर भविष्‍य के सपने बुनने में लगे बच्‍चों के हताशा की और धकेलने के लिए जिम्‍मेदार है। राजस्‍थान में शिक्षा नगरी के नाम से ख्‍यात कोटा और देश के अन्‍य हिस्‍सों में कोचिंग छात्रों की आत्‍महत्‍याओं के बढ़ते मामलों के लिए सुप्रीम कोर्ट ने अभिभावकों की इसी बढ़ती उम्‍मीद को जिम्‍मेदार ठहराया है। आत्‍महत्‍याओं के लगातार बढ़ रहे मामले सचमुच सबसे लिए चिंता का सबब है। इनके लिए कोचिंग संस्‍थानों को भी जिम्‍मेदार ठहराया जाता रहा है। आत्‍महत्‍याओं के लिए कोचिंग संस्‍थान नहीं, बल्कि माता-पिता की उम्‍मीदों का यही बढ़ता दबाव जिम्‍मेदार है।  
यह सच भी है कि इन दिनों बच्‍चों से बेहतर परिणाम की उम्‍मीद रखने वाले अभिभावक बच्‍चों की इच्‍छा जाने बिना उन्‍हें कोचिंग संस्‍थानों में जबरन दाखिला दिलाने लगे है। कुछ तो पढ़ाई की वजह से और कुछ अभिभावकों की इन उम्‍मीदों की वजह से छात्र हमेशा मनोवैज्ञानिक दबाव महसूस करते है। किसी काम में सफलता और असफलता जीवन का एक हिस्‍सा है। यह आवश्‍यक नहीं होता हैं कि कोचिंग संस्‍थानों में पढ़ने वाला प्रत्‍येक छात्र को डिप्रेशन में धकेलने के लिए काफी है। देखने में यही रहा है कि कॅरियर की इस दौड़ में खुद को पिछड़ता हुआ जान बच्‍चे निराशा और हताशा से घिर का मौत को गले लगाने तक का कदम उठाने से नहीं चूकते। कोचिंग संस्‍थानों में पढाई के तौर-तरीके भी प्रतिस्‍पर्धाजनक बनने लगे है। भले ही सुप्रीम कोर्ट ने कोचिंग संस्‍थानों को बच्‍चों की खुदकुशी की घटनाओं के लिए सीधे तौर पर जिम्‍मेदार नहीं माना हो लेकिन ये संस्‍थान भी जवाबदेही से मुक्‍त नहीं हो सकते। हां, ज्‍यादा जिम्‍मेदार उन अभिभावकों को ही माना जाएगा जो बच्‍चों की पसंद-नापसंद जाने बिना उन्‍हें ऐसी स्‍ट्रीम में प्रवेश दिला देते है जिसमें उनकी रूचि होती ही नहीं। ऐसे में किसी भी छात्र के असफल होने का खतरा तो बना ही रहेगा।  
जरूरत इस बात की भी है कि माता-पिता बच्‍चों के मन को तो टटोलें ही, उनसे लगातार संवाद भी रखें ताकि बच्‍चे खुलकर समझा सकें कि कॅरियर को लेकर उनके मन में क्‍या चल रहा है? इसी तरह का संवाद कोचिंग संस्‍थानों के स्‍तर पर भी जरूरी है। कोचिंग संस्‍थानों की बड़ी जिम्‍मेदारी यह तो बनती ही है कि परफॉरमेंस सुधारने के लिए बच्‍चों पर अनावश्‍यक दबाव नहीं बनाएं। अभिभावकों और कोचिंग संस्‍थानों को जिम्‍मेदारी बराबर समझनी होगी।   
 
 
 
 
 
 
  
 
 
 
 
 
 
 
 
  

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