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साँई कम्‍प्‍यूटर टायपिंग इंस्‍टीट्यूट गुलाबरा छिन्‍दवाड़ा म0प्र0 संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565

created Tuesday September 19, 03:59 by lucky shrivatri


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प्रकरण के तथ्‍य संक्षिप्‍त में इस प्रकार हैं कि दिनांक 10.06.1994 को आरक्षक रामसिंह, आरक्षक सुरेश और आरक्षक रोहित सिंह, जो जिला ब्‍यावर में पदस्‍थ थे, सिंहस्‍थ मेले में ड्यूटी पर अस्‍थाई थाना रामपुरा में कार्यरत थे, पैदल पेट्रोलिंग ड्यूटी के लिए निकले थे, लालबाग की तरफ जा रहे थे, तब थाना रामपुरा के सामने मिनी बेग सेंटर वाले सुरेन्‍द्र, सुरेश, अंकित इन लोगों ने दुकानों के आगे बेरीकेट के बाहर सड़ की ओर से बेग जमा रखे थे। आरक्षकगण द्वारा इन्‍हें समझाया गया कि दुकान का सामान अंदर रखो, तब अभियुक्‍तगण द्वारा आरक्षकगण के साथ गाली गलौज कर झुमा-झटकी और मारपीट शुरू कर दी गई। रामसिंह की नंबर प्‍लेट छीन ली। इतने में रामलाल और काली बाई गए, इन लोगों ने भी गाली गलौज और मारपीट की। काली बाई कपड़े फाड़कर झूठा केस दर्ज कराने की धमकी दे रही थी। आरक्षकगण भागकर थाने पर आए, रामसिंह के पीठ, गाल तथा कमर में और विनोद को भी मामूली चोटें आई। थाना रामपुरा पर आकर आरक्षकगण ने अपराध पंजीबद्ध कराया। आरक्षकगण का मेडिकल परीक्षण कराया। आरक्षकगण के धारा 161 दण्‍ड प्रक्रिया संहिता के कथन लेखबद्ध किए। अभियुक्‍तगण को गिरफ्तार किया। आरक्षक रामसिंह का जाति प्रमाण पत्र प्राप्‍त किया। अनुसंधान उपरांत अभियोग पत्र इस न्‍यायालय के समक्ष दिनांक 10.06.1994 को प्रस्‍तुत किया।  
अभियुक्‍तगण पर दिनांक 12.08.1994 को भारतीय दण्‍ड संहिता की धारा 147, 332 विकल्‍प में 332/149, 504, तथा विशेश अधिनियम की धारा 3(1) (आर), (एस) एवं 3(2) के अंतर्गत आरोप पत्र विरचित कर पढ़कर सुनाए समझाए जाने पर आरोपीगण ने आरोपित अपराध से अस्‍वीकार कर विचारण चाहा। आरोपीगण की प्रति रक्षा है कि उनके विरुद्ध असत्‍य प्रकरण बनाया है। आरक्षकगण द्वारा काली बाई नाम की महिला के साथ छेड़छाड़ की गई थी, आरक्षकगण के विरुद्ध भीड़ लगी हुई थी। इस आशय की भी प्रतिरक्षा है कि आरक्षकगण बेग वालों की दुकान से कम पैसे अथवा बिना पैसे देकर बेग प्राप्‍त करना चाह रहे थे, देने पर झूठा प्रकरण बनाया है।  
अभियोजन की ओर से आरक्षक रामसिंह का जाति प्रमाण पत्र प्र.पी.1 आरक्षक रामसिंह के कथन चरण-1 में प्रदर्शित किया है। प्रतिपरीक्षण पेरा-7 में साक्षी ने स्‍वीकार किया है कि जाति प्रमाण पत्र प्र.पी.1 में यादव नहीं लिखा है, पिता के नाम के आगे यादव नही लिखा है। रामसिंह के जाति प्रमाण पत्र के मूल अभिलेख प्रमाणित किए जाने हेतु एस.डी.ओ. कार्यालय भोपाल के रीडर रामकुमार वर्मा को साक्ष्‍य में आहत किया गया था।  
 

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