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साँई कम्प्यूटर टायपिंग इंस्टीट्यूट गुलाबरा छिन्दवाड़ा म0प्र0 संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565
created May 26th, 06:29 by lucky shrivatri
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मध्यप्रदेश के क्रूनों अभयारण्य से फिर दो शावक चीतों की मौत की दुखद सूचना चिंतित करने वाली हैं। इसलिए भी कि करीब 75 साल के बाद भारत चीतों से गुलजार हुआ है और हम उम्मीद कर रहे हैं। कि देश से लुप्त हो चुके चीतों के लिए अनुुकूल माहौल बनाने में हम एक बार फिर सफल होंगे। इस उम्मीद को तब और पंख लग गए थे जब मादा चीता ज्वाला ने पिछले 24 मार्च को क्रूनों में चार शावकों को जन्म दिया। पर अब एक के बाद एक उसके शावकों की मौत हो चुकी हैं। और चौथें की भी हालत ठीक नहीं हैं। उसे निगरानी में रखा गया हैं। हालांकि विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि शावक चीतों की मुत्यूदर कैट फैमिली (बिल्ली जैसी प्रजातियों) में सबसे ज्यादा होती हैं, इसलिए क्रूनो में शावको की मौत को असामान्य नहीं माना जाना चाहिए। पर यह भी सच है कि वर्तमान युग में वैज्ञानिक तौर-तरीके से देखभाल करते हुए जीवन-प्रत्याशा बढ़ाने में हम सफल होते हैं। जितनी धूमधाम से हमने चीतों का स्वागत किया था, उन्हें यों गर्मी की वजह से मरते नही देख सकते। पिछले साल फरवरी में दक्षिण अफ्रीकी देशों से पहले 12 चीते लाए गए थे। उसके बाद आठ और चीते क्रूनों में बसाए गए। कुल 20 चीतों में से तीन की असामान्य परिस्थितियों में मौत हो चुकी हैं। किड़नी फेल होने के कारण एक नामीबियाई चीते साशा में मौत 27 मार्च को हुई थी। उसके बाद दक्षिण अफ्रीका से लाए गए चीते उदय की मौत 13 अप्रैल को हुई। यौन संबंध बनाने के दौरान घायल होने की वजह से पिछली 9 मई को दक्षा नाम के मादा चीते की भी मौत हो गई। यानी अब क्रूनों से दुखद खबरें ही लगातार आ रही हैं। यदि तुंरत इस पर गंभीरता से मंथन नहीं किया गया और माहौल को नए मेहमानों के अनुकूल बनाने के प्रयास युद्धस्तर पर नहीं हुए तो डर है कि कहीं हम फिर 75 साल पहलीे वाली अवस्था में न पहुंच जाएं। हालांकि, यह भी सच है कि प्रकृति का न्याय क्रूर और तर्कसंगत होता हैं। खासकर जंगल मे रहने वाले प्राणियों में वे ही जिंदा रह पाते है जो ज्यादा स्वस्थ और मजबूत हों। प्राणियों के भविष्य के लिए उनकी जीन श्रृंखला में कमजोर नस्ल को प्रकृति इसी तरह बाहर करती रहती हैं। प्रकृति की क्रूरता को समझने वाले वैज्ञानिकों को भले ही चीतों सामान्य घटना लगती हो, लेकिन हम इससे संतुष्ट नहीं हो सकते। सरकार को चाहिए जल्द से जल्द दक्षिण अफ्रीका ओर नामीबिया के विशेषज्ञों के साथ चर्चा करे और वह हरसंभव उपाय करे जो देश में चीतों की संख्या बढ़ाने में सहायक हो।
