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साँई कम्प्यूटर टायपिंग इंस्टीट्यूट गुलाबरा छिन्दवाड़ा म0प्र0 संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565
created May 26th, 04:07 by lovelesh shrivatri
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राजस्थान में रविवार को संपन्न हुई पीटीईटी की परीक्षा के दौरान परीक्षा केंद्रों के बाहर का नजारा विचलित करने वाला था। दो वर्षीय बीएड ओर चार वर्षीय बीए-बीएड ओर बीएससी-बीएड पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए आयोजित इस परीक्षा में चार लाख से अधिक परीक्षार्थियों ने भाग लिया, प्रदेश भर में बनाए गए परीक्षा केंद्रों के बाहर परीक्षार्थियों के परिजन भरी गर्मी में परेशान होते रहे। उनके लिए न तो कहीं छाया की व्यवस्था थी और न ही ठंड़े पानी की व्यवस्था। ऐसा पहली बार नहीं हुआ हैं। हर परीक्षा में परीक्षा केंद्रों के बार इसी तरह का माहौल नजर आता। गर्मियों में तो हालत बहुत ज्यादा खराब हो जाती हैं। परीक्षा खत्म होने का इंतजार करते परिजन धूप से बचने के लिए आसपास भटकते नजर आते हैं। असल में इस समस्या पर कभी किसी ने ध्यान ही नहीं दिया। या यूं कहें, इसे किसी ने समस्या माना ही नहीं। परीक्षा आयोजकों और परीक्षा केंद्रों के प्रशासकों ने अपने आपको परीक्षार्थियों की जांच और उन्हें निश्चित समय पर परीक्षा केंद्रों में प्रवेश कराकर परीक्षा आयोजित करवाने तक ही सीमित कर लिया हैं। उनको परीक्षार्थियों और उनके साथ परीक्षा केंद्रों तक आने वालों की समस्या से कोई लेना-देना नहीं होता। यही वजह हैं, कि परीक्षार्थियों के मोबाइल और जरूरी सामान को रखने के लिए भी ऐसी सतही व्यवस्था की जाती हैं, जिससे उनको नुकसान पहुंचाने की आशंका बनी रहती हैं। ऐसा होता भी हैं, लेकिन इसकी जिम्मेदारी लेने के लिए कोई तैयार नहीं होता। बड़ी परीक्षाओं के दौरान परीक्षा केंद्रों के बाहर कुछ लोग पैसें लेकर अनधिकृत रूप से सामान रखने का काम करते हैं, लेकिन उनकी विश्वसनीयता को लेकर परीक्षा केंद्र भी जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं होता। परीक्षा के लिए लोग एक शहर से दूसरे शहर भी जाते हैं। जयपुर जैसे शहर से परीक्षा केंद्र घर से बहुत दूर भी होते हैं। ऐसी हालत में परीक्षार्थी के साथ आए लोगों का वापस घर जाना संभव नहीं होता। वे परीक्षा केंद्रों के बाहर या आसपास ही घूमते नजर आते हैं। ऐसे लोगों के लिए छाया- पानी की व्यवस्था करने पर ध्यान देना इंसनियत का तकाजा हैं। इसके लिए गैर सरकारी संगठनों का भी सहयोग लिया जा सकता हैं। जिम्मेदार लोगों में इच्छाशक्ति हो तो इस तरह की समस्याओं का समाधान आसानी से हो सकता है और लोगों को राहत मिल सकती हैं।
