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साँई कम्‍प्‍यूटर टायपिंग इंस्‍टीट्यूट गुलाबरा छिन्‍दवाड़ा म0प्र0 संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565

created Feb 1st 2023, 11:30 by Sai computer typing


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एक बार संत तुकराम अपने आश्रम में बैठे थे। एक शिष्‍य उनके पास आया और बोला, गुरूजी आप अपना व्‍यवहार इतना मधुर कैसे रखते हैं, आप किसी पर क्रोध करते हैं और ही किसी को भला-बुरा कहते है? संत ने कहा मैं, अपने रहस्‍य के बारे में नहीं जानता, लेकिन मैं तुम्‍हारा रहस्‍य जानता हूं कि तुम अगले हफ्ते मरने वाले हो। यह सुन शिष्‍य उदास हो गया और गुरू का आशीर्वाद लेकर चला गया। उस समय से शिष्‍य का स्‍वभाव पूरी तरह बदल गया। वह हर किसी से प्रेम से मिलता और कभी किसी पर क्रोध करता। संत की भविष्‍यवाणी को एक हफ्ता पूरा होने को आया। शिष्‍य ने सोचा चलो आखिरी बार गुरू के दर्शनकर आशीर्वाद ले लेते है। वह उनके समक्ष पहुंचा और बोला, गुरूजी मेरा समय पूरा होने वाला है, मुझे आशीर्वाद दीजिए। मेरा आशीर्वाद हमेशा तुम्‍हारे साथ है पुत्र। अच्‍छा ये बताओ कि पिछले सात दिन कैसे बीते? क्‍या तुम पहले की तरह ही लोगों से नाराज हुए, उन्‍हें अपशब्‍द कहे। संत तुकराम ने प्रश्‍न किया। नहीं-नही बिल्‍कुल नही। मेरे पास जीने के लिए सिर्फ सात दिन थे, मैं इसे बेकार की बातों में कैसे गंवा सकता था। शिष्‍य तत्‍परता से बोला। संत तुकराम मुस्‍कुराए और बोले, यही मेरे अच्‍छे व्‍यवहार का रहस्‍य है।   

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