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बंसोड कम्प्यूटर टायपिंग इन्स्टीट्यूट छिन्दवाड़ा म0प्र0
created Jan 25th, 05:28 by neetu bhannare
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मथुरा महाराष्ट्र की एक किशोरी आदिवासी लड़की थी, वो एक लड़के से प्यार करती थी इसलिए उसके घरवालों ने लड़के के खिलाफ अपहरण का केस दाखिल कर दिया था। इसी मामले के सिलसिले में वो थाने के अंदर थी जबकि उसका परिवार बाहर उसका इंतजार कर रहा था। दो पुलिसवालों ने थाने के भीतर उसका बलात्कार किया। पुलिसवालों को निचली अदातल ने बरी कर दिया, पर बॉम्बे उच्च न्यायालय ने इस रिहाई को पलट दिया और पुलिसवालों को सजा सुनाई पर 1979 नें सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस जसवंत सिंह कैलाशम और कौशल की बेंच ने इस मामले में (तुकाराम बनाम महाराष्ट्र सरकार) बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले को यह कहते हुए पलट दिया कि मथुरा ने कोई विरोध नहीं किया था- उसके शरीर पर किसी किस्म के चोट के निशान नहीं दिख रहे थे इससे उन्होंने माना कि चूँकि कोई विरोध नहीं हुआ था इसलिए यह बलात्कार नहीं था। फैसले में कहा गया कि 'चूँकि उसे शारीरिक संबंध बनाने की आदत थी तो हो सकता है कि उसने पुलिसवालों को संबंध बनाने के लिए उकसाया हो (उन्होंने ड्यूटी के दौरान शराब पी रखी थी)' दिल्ली विश्वविद्यालय के कानून के प्रोफेसर उपेन्द्र बख्शी, रघुनाथ केलकर और लतिका सरकार, और पुणे की वसुधा धगमवार ने इस फैसले का विरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट को खुली चिट्ठी लिखी और इस चिट्ठी ने देशभर में बलात्कार कानूनों और बलात्कार के मामलों में सबूतों की कानूनी समझ में बदलाव की मॉंग के साथ महिला आंदोलन की चिंगारी को भड़का दिया, इस खुली चिट्ठी में कहा गया था कि विवाह के पहले शारीरिक संबंध बनाने के खिलाफ हौव्वा इतना बड़ा है कि इससे भारतीय पुलिस को एक बच्ची के साथ बलात्कार करने का लायसेंस मिल जाये? खुली चिट्ठी के बाद हुए विरोधों के कारण 1983 में बलात्कार और उससे संबंधित कानूनों में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव हुए इसमें 1860 की भारतीय दण्ड संहिता की धारा 376 (2) के तहत दर्ज मामलों मसलन हिरासत में बलात्कार (जेल के भीतर बलात्कार/ पुलिस द्वारा किए गए बलात्कार) में सहमति न होने की अवधारणा को शामिल किया। उसी के अनुसार भारतीय प्रमाणन कानून- धारा 114 में एक संशोधन भी किया गया। इसका अर्थ यह था कि पुलिस हिरासत (कस्टडी) में हुए बलात्कार के मामलों में यदि शारीरिक संबंध साबित हो गया हो और महिला बलात्कार का आरोप लगाती हो तो अदालत यह उसकी यह असहमति को लेकर अवधारणा बनायेगी।
