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साँई कम्प्यूटर टायपिंग इंस्टीट्यूट गुलाबरा छिन्दवाड़ा (म0प्र0) सीपीसीटी न्यू बैच प्रारंभ संचालक- लकी श्रीवात्री मो. नं. 9098909565
created Nov 24th 2022, 14:04 by lucky shrivatri
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अपीलार्थी तीसरा अभियुक्त था जिसने प्रथम अभियुक्त द्वारा मृतक को गोली मारकर हत्या कारित होने के दौरान मृतक के विरुद्ध कतिपय मौखिक अपशब्द कहे थे। अपीलार्थी को दिनांक 24.02.2021 को गिरफ्तार किया गया था और वह उस दिन से लगातार जेल में था। उसकी ओर से यह दलील प्रस्तुत की गई कि उसने अपराध कारित करने में कोई भाग नहीं लिया था और घटना के समय उससे मृतक के साथ केवल कुछ अपशब्दों का आदान-प्रदान मात्र हुआ था इसलिए उसे जमानत पर छोड़ा जाना चाहिए। राज्य तथा मृतक की विधवा ने अपीलार्थी की जमानत का विरोध करते हुए कहा वह मृतक के परिवार के लिए खतरा उत्पन्न कर सकता है। उच्चतम न्यायालय ने प्रकरण के गुणागुण के आधार पर टिप्पणी से इंकार करते हुए अभिनिर्धारित किया कि चूंकि इस अपराध के द्वितीय अभियुक्त को जमानत मंजूर कर उसे छोड़ा गया है अत: इस अपीलार्थी को भी कतिपय शर्तों सहित जमानत पर छोड़ा जाए क्योंकि वह गत दो वर्षों से जेल में है।
वाद में अपीलार्थीगण एक ऐसे आपराधिक प्रकरण में फंसे हुए थे जिसके विरुद्ध एक प्रतिवाद भी चल रहा था। दोनों ही प्रकरण का अन्वेषण हो चुका था परंतु पुलिस द्वारा अंतिम रिपोर्ट इनमें से केवल एक प्रकरण में प्रस्तुत की गई थी। उच्चतम न्यायालय ने निर्णय दिया कि प्रतिवाद आपराधिक प्रकरण की जो भी स्थिति हो, अपीलार्थियों को विचारण के दौरान जमानत पर छोड़े जाने की पात्रता है। अत: उच्चतम न्यायालय ने सत्र न्यायाधीश को आदेशित किया कि अपीलार्थियों को प्रत्येक को सक्षम प्रतिभुओं सहित पचास हजार रुपये के बंधनपत्र पर छोड़ा जाए और उनकी जमानत मंजूर की जाए।
जब किसी व्यक्ति को यह विश्वास करने का कारण है कि हो सकता है उसको किसी अजमानतीय अपराध के किए जाने के अभियोग में गिरफ्तार किया जा सकता है तो वह इस धारा के अधीन निदेश के लिए उच्च न्यायालय या सेशन न्यायालय को आवेदन कर सकता है, और यदि वह न्यायालय ठीक समझे तो वह निदेश दे सकता है कि ऐसी गिरफ्तारी की स्थिति में उसको जमानत पर छोड़ दिया जाए। जब उच्च न्यायालय या सेशन न्यायालय उपधारा 1 के अधीन निदेश देता है तब वह उस विशिष्ट मामले के तथ्यों को ध्यान में रखते हुए उन निदेशों में ऐसी शर्तें जो वह ठीक समझे, सम्मिलित कर सकता है। यह शर्त कि वह व्यक्ति पुलिस अधिकारी द्वारा पूछे जाने वाले परिप्रश्नों का उत्तर देने के लिए जैसे और जब अपेक्षित हो उपलब्ध होगा। यह शर्त की वह व्यक्ति उस मामले के तथ्यों से अवगत होगा।
वाद में अपीलार्थीगण एक ऐसे आपराधिक प्रकरण में फंसे हुए थे जिसके विरुद्ध एक प्रतिवाद भी चल रहा था। दोनों ही प्रकरण का अन्वेषण हो चुका था परंतु पुलिस द्वारा अंतिम रिपोर्ट इनमें से केवल एक प्रकरण में प्रस्तुत की गई थी। उच्चतम न्यायालय ने निर्णय दिया कि प्रतिवाद आपराधिक प्रकरण की जो भी स्थिति हो, अपीलार्थियों को विचारण के दौरान जमानत पर छोड़े जाने की पात्रता है। अत: उच्चतम न्यायालय ने सत्र न्यायाधीश को आदेशित किया कि अपीलार्थियों को प्रत्येक को सक्षम प्रतिभुओं सहित पचास हजार रुपये के बंधनपत्र पर छोड़ा जाए और उनकी जमानत मंजूर की जाए।
जब किसी व्यक्ति को यह विश्वास करने का कारण है कि हो सकता है उसको किसी अजमानतीय अपराध के किए जाने के अभियोग में गिरफ्तार किया जा सकता है तो वह इस धारा के अधीन निदेश के लिए उच्च न्यायालय या सेशन न्यायालय को आवेदन कर सकता है, और यदि वह न्यायालय ठीक समझे तो वह निदेश दे सकता है कि ऐसी गिरफ्तारी की स्थिति में उसको जमानत पर छोड़ दिया जाए। जब उच्च न्यायालय या सेशन न्यायालय उपधारा 1 के अधीन निदेश देता है तब वह उस विशिष्ट मामले के तथ्यों को ध्यान में रखते हुए उन निदेशों में ऐसी शर्तें जो वह ठीक समझे, सम्मिलित कर सकता है। यह शर्त कि वह व्यक्ति पुलिस अधिकारी द्वारा पूछे जाने वाले परिप्रश्नों का उत्तर देने के लिए जैसे और जब अपेक्षित हो उपलब्ध होगा। यह शर्त की वह व्यक्ति उस मामले के तथ्यों से अवगत होगा।
