Text Practice Mode
SHREE BAGESHWAR ACADEMY TIKAMGARH (M.P.)CPCT टेस्ट सीरीज के लिए संपर्क करें Contact- 8103237478
created Nov 23rd 2022, 03:16 by Shreebageshwar Academy
0
325 words
22 completed
0
Rating visible after 3 or more votes
00:00
दुनिया भर में जलवायु परिवर्तन की वजह से कैसी समस्याएं खड़ी हो रही हैं, इसके क्या कारण हैं, इसमें किसकी कितनी भूमिका है और इसका खमियाजा किसे उठाना पड़ रहा है, ये सब जगजाहिर तथ्य रहे हैं। लेकनि सालों से इस पर चिंता जताए जाने के बीच होते आ रहे अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों में शायद ही कभी विकसित देशों ने समस्या के गहराते जाने में अपनी जिम्मेदारी स्वीकारकरने का साहस दिखाया। इसके उलट जलवायु परिवर्तनया बढ़ते तापमानमें कार्बन उत्सर्जन को मुख्य कारण बता कर विकासशील और गरीब देशों को कठघरे में खड़ा करने की कोशिशें जरूर की गई। जबकि तीसरी दुनिया के देश दरअसल इस समस्या में विकसित देशों की सुविधाओं के पीड़ित रहे। अनेक मौकों पर भारत सहित दुनिया के कई देशों ने इस पहलू पर विकसित देशों का ध्यान आकर्षित करने की कोशिश की, मगर ऐसे सवालों की आमतौर पर अनदेखी की जाती रही। समर्थ देशों की ओर से अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ने और आरोप दूसरों पर मढ़ने की यह प्रवृत्ति इस समस्या के वास्तविक और दिर्घकालिक नतीजे देने वाले समाधान का रास्ता तैयार नहीं कर सकती थी। जाहिर है, तीसरी दुनिया के देश यह सोचने पर मजबूर हुए कि अगर वे कार्बन उत्सर्जन की समस्या के भुक्तभोगी हैं तो इसके प्रमुख जिम्मेदार देशों को अपने रवैए पर पुनर्विचार करना होगा। शायद विकासशील देशों के इसी रुख से उपजे दबाव का यह हासिल है कि इस बार मिस्र के शर्म अल शेख में रविवार को संपन्न हुए संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन में हानि एवं क्षति समझौते पर सहमति का ऐतिहासिक फैसला सामने आया। इस समझौते के तहत विकसित देशों के कार्बन प्रदूषण से पैदा हुई मौसम संबंधी प्रतिकूल परिस्थितियों से प्रभावित गरीब देशों का मुआवजा देने के लिए एक कोष तैयार किया जाएगा। हालांकि इस सीओपी 27 में उम्मीद की जा रही थी कि तेल और गैस सहित सभी समझौते में शामिल किया जाए। लेकिन इस पहलू पर सीओपी 26 में बनी सहमति की तुलना में बहुत कम प्रगति हो पाई।
saving score / loading statistics ...