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बंसोड कम्प्यूटर टायपिंग इन्स्टीट्यूट मेन रोड़ गुलाबरा छिन्दवाड़ा म0प्र0 मो.नं.8982805777
created Nov 23rd 2022, 02:20 by Sawan Ivnati
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पद्म पुराण में कहा गया है, जो जन्म लेता है, उसकी मृत्यु निश्चित है। इसलिए मृत्यु से भयभीत होने की जगह सत्कर्मों के माध्यम से मरण को शुभ बनाने के प्रयास करने चाहिए। जैन संत आचार्य तुलसी एक बोधकथा सुनाया करते थे एक मछुआरा समुद्र से मछलियां पकड़ता और उन्हें बेचकर अपनी जीविका चलाता था। एक दिन एक वणिक उसके पास आकर बैठा। उसने पूछा, मित्र, क्या तुम्हारे पिता है? उसने जवाब दिया, नहीं, उन्हें समुद्र की एक बड़ी मछली निगल गई। उसने फिर पूछा, और तुम्हारा बड़ा भाई? मछुआरे ने जवाब दिया, नौका डूब जाने के कारण वह समुद्र में समा गया। वणिक ने फिर पूछा, दादाजी और चाचाजी की मृत्यु कैसे हुई ? मछुआरे ने बताया कि वे भी समुद्र में लीन हो गए थे। वणिक ने यह सुना, तो बोला, मित्र, यह यमुद्र तुम्हारे विनाश का कारण है, बावजूद इसके तट पर आकर जाल डालते हो। क्या तुम्हें मरने का भय नहीं है? मछुआरा बोला, भैया, मौत जिस दिन आनी होगी, आएगी ही। तुम्हारे घरवालों में से दादा, परदादा, पिता में से शायद ही कोई इस समुद्र तक आया होगा। फिर भी वे सब चल बसे । मौत कब आती है और कैसे आती है, यह आज तक कोई भी नहीं समझ सका है। फिर मैं बेकार ही मौत से क्यों डरूं? भगवान महावीर ने कहा था, नाणागमो मच्चुमुहस्य अत्थि यानी मृत्यु किसी भी द्वार से आ सकती है, इसलिए आत्मज्ञानी ही मौत के भय से बचा रह सकता है।
