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बंसोड कम्‍प्‍यूटर टायपिंग इन्‍स्‍टीट्यूट छिन्‍दवाड़ा म0प्र0 CPCT, DCA, PGDCA, TALLY प्रवेश प्रारंभ मो.नं.

created Sep 24th 2022, 09:49 by shilpa ghorke


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जब शिनाख्‍त कार्यवाही का अभियोजन हुआ तो अभियुक्‍त अपनी ही पोशाक पहने था, उसका नंबर प्‍लेट भी उसकी पोशाक में लगा था तथा अभियुक्‍त अदभुत मुख मु्द्रा में भी नहीं था। यह धारण किया गया कि इस कार्यवाही शिनाख्‍त से कोई लाभ नहीं प्राप्‍त किया जा सकता है। अन्‍वेषणकर्ता अभिकरण ने तो कार को खोज पाई और ही उसके चालान की ही खोज कर पाई, तब अन्‍वेषणकर्ता की असफलता अभियोक्‍त्री का अन्‍वेषण करने वाले एजेंसी पर कोई नियंत्रण नहीं होता है और इस प्रकार का अन्‍वेषण करने वाले अधिकारी की उपेक्षा अभियोक्‍त्री के कथन की विश्‍वसनीयता को प्रभावित नहीं कर सकता था। विद्यमान मामले मं न्‍यायालय ने यह पाया है कि यद्यपि आवेदक पति ने यह अभिवचन किया है कि उसने तारीख 15 जनवरी, 1998 को अपनी पत्‍नी को तलाक दे दिया है, किंतु प्रधान न्‍यायाधीश को आक्षपित आदेश में न्‍यायालय ने यह पाया है कि विद्वान प्रधान न्‍यायाधीश ने इस तथ्‍य का उल्‍लेख करने के पश्‍चात की पति ने अपनी प्रतिपरीक्षा में यह कि जब पति और पत्‍नी संयुक्‍त रूप से विवाह विच्‍छेद की डिक्री मंजूर हो जाने के बाद ऐसी पत्‍नी भरण-पोषण पाने के लिए अधिकारिणी हो सकेगी। संहिता में कुछ भी नहीं है जो ऐसी जनता को मौखिक बहसों के क्षेत्र को संकुचित कर देता है। यदि अभियुक्‍त उस स्‍तर पर किसी विश्‍सवसनीय सामग्री को प्रस्‍तुत करने में सफल हो जाता है जो मामले की खास पोषणीयता को भी घातक तौर से प्रभावित कर सकती थी यह संकेत करना अन्‍यायपूर्ण है कि ऐसी कोई सामग्री उस स्‍तर पर न्‍यायालय के द्वारा नहीं देखी जाएगी। यह आधार आरोप को साबित करने के लिए साक्ष्‍य की अप्राप्‍तयता सहित कोई वैध आधार हो सकता है। ऐसे एक अवसर को प्रदान करने का उद्देश्‍य जैसा कि संहिता की धारा 227 में निरूपित है। विनिश्‍चत करने को न्‍यायालय के समक्ष बताना है कि क्‍या विचारण को संपादित करने को अग्रसर‍ होना यह आवश्‍यक है। यदि मामला वहां समाप्‍त हो जाता है तो न्‍यायालय का बहुत सा समय एवं मानवीय प्रयासों एवं खर्चों को बचाता है। यदि अभियुक्‍त के द्वारा प्रस्‍तुत की गई सामग्री उस पूर्वोत्‍तर स्‍तर पर भी विवाद्यक को वि‍निश्चित करेगी कहते हुए कि न्‍यायालय को इसको बंद करना चाहिए ऐसे दस्‍तावेज को विचारण कार्यवाहीयो के नाम में अधिक समय को बर्बाद करने के बाद प्रस्‍तुत करने की आवश्‍यकता है अत: स्‍वत: न्‍यायाधीश को सामग्री आवेदकगण के अधिवक्‍ता का तर्क था कि विद्वान मुख्‍य न्‍यायिक मजिस्‍ट्रेट ने।  

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