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created Sep 22nd 2022, 09:35 by Shreebageshwar Academy
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क्वाइट क्विंटिग ने इधर अनेक कामकाजी लोगों का ध्यान खींचा है। इसका मतलब है अपने जॉब में कम से कम काम करना, जितने प्रयासों की आवश्यकता है उससे कम प्रयास करना और उतना ही करना जितने की आपसे उम्मीद की जाती है। पांच लैपटॉप बंद कर देना और ऑफिस से निकलते ही दिमागी और भावनात्मक रूप से उससे अलग हो जाना। सॉरी बॉस मेरा हो गया। तो हमारा अब इस मुकाम पर आ गया है, जिसमें नौजवानों को इस बात के लिए प्रेरित किया जा रहा है कि वे खद को काम में पूरी तरह से झोंक न दें। आखिए वर्क-लाइफ बैलेंस को गड़बड़ाने और सेहत को दांव पर लगाने से क्या फायदा, जब आपको बदले में ज्यादा कुछ नहीं मिलने वाला। यकीनन, हमें सैलेरी की जरूरत है, जिसके लिए जॉब करना पड़ता है, लेकिन उसके लिए ज्यादा मेहनत क्यों करें।
वैसे थ्योरिटिकली बात करें तो ऊपर दिए तर्कों में कुछ तां सच्चाई है। लेकिन अफसोस कि क्वाइट क्विटिंग व्यावहारिक नहीं। अगर कोई युवा क्वाइट -क्विट कर रहा है तो उसके सीनियर्स उसे औसत क्षमताओं वाला, प्रेरणाशून्य और निष्क्रिय समझेंगे। ये उसके लिए अच्छी बात नहीं होगी। अगर आप क्वाइट क्विंटिंग कर रहे हैं तो आपके सीनियर्स को पता चल जाता है, वे आपको उसके आधार पर जज करते हैं और यह आपके करियर के लिए नुकसानदेह हो सकता है। लेकिन इससे पहले कि हम क्वाइट क्विटिंग पर और बातें करें, एक दूसरे पहलू पर भी विचार कर लेना दिलचस्प होगा।
एक कम्पनी के फाउंडर और सीईऔ ने लिंक्डइन पर पोस्ट लिखते हुए युवाओं किया कि वे कड़ी मेहनत करें, जो कि क्वाइट क्विटिंग का पूरी तरह से विपरीत होगा। मैं यहां उनकी पोस्ट जस की तस प्र्स्तुत कर रहा हूं अगर आप 22 साल के हैं और जॉब में नए-नए आए हैं तो खुद को काम में झाेंक दीजिए। अच्छा खादए और फिट रहिए, लेकिन कम से कम 4-5 वर्षों तक दिन में 18 घंटे काम करने की तैयारी रखें। मैं अनेक ऐसे युवाओं को देखता हूं, जो इस बात सेकंविंस हो चुके हैं कि उन्हें वर्क-लाइफ बैलेंस बनान चाहिए तरोताजा होकर ही काम पर लौटना चाहिए वगैरा। ऐसा नहीं कि इन परिवार के साथ समय बिताना चाहिए, महत्व है, लेकिन कॅरियर की इतनी शुरुआत में तो आपको काम की ही सब चीजों का महत्व नहीं है। इनका वह कोई भी काम हो। आप अपने करियर के पहले पांच सालों में जो मुकाम बनाते हैं, वह पूरे जीवन आपके काम आता है। तो रैंडम रोना-धोना मत कीजिए। दमखम दिखादए और में जुट जाइए।
वॉव दिन में 18 घंटे काम, उत्साही सीईओ महोदय का कहना है कि अच्छा खाएं और फिट रहें लेकिन 18 घंटे काम करें। सर, दिन में 24 घंटै होते हैं, जिनमें से कोई 18 घंटे काम करेगा तो बाकी के छह घंटों में वह कैसे अच्छा खा लेगा और तंदुरुरत रह सकेगा। तब घर के कामकाज करने और रिलेशनशिप वगैरा की बात तो रहने ही दें। वैसे एक कर्मचारी को कितने घंटे सोना चाहिए। दो घंटे।
वैसे थ्योरिटिकली बात करें तो ऊपर दिए तर्कों में कुछ तां सच्चाई है। लेकिन अफसोस कि क्वाइट क्विटिंग व्यावहारिक नहीं। अगर कोई युवा क्वाइट -क्विट कर रहा है तो उसके सीनियर्स उसे औसत क्षमताओं वाला, प्रेरणाशून्य और निष्क्रिय समझेंगे। ये उसके लिए अच्छी बात नहीं होगी। अगर आप क्वाइट क्विंटिंग कर रहे हैं तो आपके सीनियर्स को पता चल जाता है, वे आपको उसके आधार पर जज करते हैं और यह आपके करियर के लिए नुकसानदेह हो सकता है। लेकिन इससे पहले कि हम क्वाइट क्विटिंग पर और बातें करें, एक दूसरे पहलू पर भी विचार कर लेना दिलचस्प होगा।
एक कम्पनी के फाउंडर और सीईऔ ने लिंक्डइन पर पोस्ट लिखते हुए युवाओं किया कि वे कड़ी मेहनत करें, जो कि क्वाइट क्विटिंग का पूरी तरह से विपरीत होगा। मैं यहां उनकी पोस्ट जस की तस प्र्स्तुत कर रहा हूं अगर आप 22 साल के हैं और जॉब में नए-नए आए हैं तो खुद को काम में झाेंक दीजिए। अच्छा खादए और फिट रहिए, लेकिन कम से कम 4-5 वर्षों तक दिन में 18 घंटे काम करने की तैयारी रखें। मैं अनेक ऐसे युवाओं को देखता हूं, जो इस बात सेकंविंस हो चुके हैं कि उन्हें वर्क-लाइफ बैलेंस बनान चाहिए तरोताजा होकर ही काम पर लौटना चाहिए वगैरा। ऐसा नहीं कि इन परिवार के साथ समय बिताना चाहिए, महत्व है, लेकिन कॅरियर की इतनी शुरुआत में तो आपको काम की ही सब चीजों का महत्व नहीं है। इनका वह कोई भी काम हो। आप अपने करियर के पहले पांच सालों में जो मुकाम बनाते हैं, वह पूरे जीवन आपके काम आता है। तो रैंडम रोना-धोना मत कीजिए। दमखम दिखादए और में जुट जाइए।
वॉव दिन में 18 घंटे काम, उत्साही सीईओ महोदय का कहना है कि अच्छा खाएं और फिट रहें लेकिन 18 घंटे काम करें। सर, दिन में 24 घंटै होते हैं, जिनमें से कोई 18 घंटे काम करेगा तो बाकी के छह घंटों में वह कैसे अच्छा खा लेगा और तंदुरुरत रह सकेगा। तब घर के कामकाज करने और रिलेशनशिप वगैरा की बात तो रहने ही दें। वैसे एक कर्मचारी को कितने घंटे सोना चाहिए। दो घंटे।
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