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created Sep 20th 2022, 11:03 by Ashu Soni
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विद्वान एकल न्यायाधीश ने अन्वेषण के पश्चात् चालान फाइल किये जाने के प्रक्रम पर जो सुसंगत मंजूरी दी, दांडिक कार्यवाहियों में हस्तक्षेप कर अब यह सुस्थापित है कि किसी दांडिक कार्यवाही को अभिखंडित करने के लिए दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 482 के अधीन हस्तक्षेप आपराधिक मामलों ठीक किया जाना चाहिए। चूंकि यह पार्श्व मामला है जिसमें अभिकथित है कि प्रत्यर्थी ने परिवादी से पक्षपात पूर्ण बर्ताव के लिए रिश्वत ली थी। यह एक मात्र परिस्थिति है, जिस पर उच्च न्याय के लिए न्यायालय के आदेश के समर्थन में प्रत्यर्थी की ओर से विद्वान ज्येष्ठ काउंसेल द्वारा बल दिया जा सकता था, इस आशय की हैं कि दंड प्रक्रिया संहिता के या अभियोजन चलाने के लिए संबंधित अधिनियम के उपबंधों में से किसी ने कोई अभिव्यक्त विधि वरचन है। प्रस्तुत मामले में मंजूरी की विधिमान्यता का महत्व हासिल कर लेगी। यदि उस मंजूरी को अविधिमान्य पाया जाता है तो कार्यवाहियों को उचित न्यायालय द्वरारा दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 482 के अधीन अपनी अधिकारिता का प्रयोग करते हुए वैध रूप से अभिखंडित किया जा सकता है। मंजूरी प्रदान करने वाले प्राधिकारी ने भी इस बात को अंकित किया है कि परिवादी सहित अन्य साथियों के साक्ष्य से स्पष्ट रूप से इस तथ्य के बाबत् संकेत मिला था। इस संबंध में प्रार्थीगण के लिए अभिकथन हैं कि पीडब्ल्यूडी द्वारा प्रस्तावित नाला जो बनाया जा रहा था, वह सड़क के मध्य से चालीस फुट पर असमानता के आधार पर बनाया जा रहा है इससे प्रार्थीगण की दुकानों का व्यवसाय प्रभावित होगा तथा भविष्य में दुकानों को नाले के पानी से क्षति भी हो सकती है। अत: अपराधीगण नाले को सड़क के किनारे से 3 फुट की दूरी पर बनावे। इसके विपरीत अपराधीगण पीडब्ल्यूडी के यह अभिकथन रहे है कि पीडब्ल्यूडी विभाग की 84 फुट जमीन सड़क की है। उसमें से कस्बे के विकास सुविधा व पानी के सम्यक विकास हेतु 2-2 फुट जमीन तोड़कर 40 फुट पर नाला निर्मित किया जा रहा है। जो पीडब्ल्यूडी विभाग द्वारा अपनी ही सडक की मांग पर भूमि पर किया जा रहा है। जबकि प्रार्थीगण ने नियमानुसार सेटबैक छोड़े बिना दुकानों का निर्माण किया है तथा सड़क की जगह पर सीढ़ी निर्मित कर तथा टीन शेड डालकर निर्मित किया है जिसका नोटिस दिया गया है। थाना आबादी सघन होने से वर्तमान में सड़क चौड़ी कर नाले का निर्माण करना अतिआवश्यक है। पीडब्ल्यूडी विभाग किसी के प्रभाव में नही है जबकि कब्जे व आदि के प्रभाव को निर्माण को ध्यान में रखकर निर्माण कया जा रहा है।
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