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साँई कम्‍प्‍यूटर टायपिंग इंस्‍टीट्यूट गुलाबरा छिन्‍दवाड़ा म0प्र0 संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565

created Sep 20th 2022, 04:40 by Sai computer typing


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बच्‍चे आज सुबह से ही बड़े खुश थे। घर में तरह-तरह के पकवान बनाए जा रहे थे जिनकी खुशबु सबके मन को आनन्दित कर रही थी। रमन बाबू दोपहर को सोए हुए अतीत की यादों में विचरण कर रह थे, तभी उनके बेटे रमेश ने कमरे में प्रवेश कर उनका ध्‍यान भंग करते हुए कहा पिताजी अपना सामान जमा लीजिए हमारे यहां तीन माह पूरे हुए, आज आपको बड़े भैया के यहां जाना है। रमन बाबू ने अपनी जवानी में बहुत मेहनत करके अपने परिवार का पालन-पोषण किया चारों बेटों को पढ़ा-लिखा कर काबिल बनाया परंतु बुढापे के साथ ही उनका समय बदला। कुछ वर्षो पूर्व पत्‍नी का देहांत हो गया, चारों बेटों ने जमीन जायदाद, धन-दौलत का बंटवारा कर लिया। अंत में प्रश्‍न यह उठा कि पिताजी को कौन रखेगा? सभी एक दूसरे का मुंह देखने लगा गए। कोई नहीं बोला। अंत में सभी बेटे-बहुओं ने फैसला किया कि पिताजी तीन-तीन महीने बेड़े से छोटे क्रम में चारों भाइयों के यहां रहेंगे, तब से तीन-तीन महीनों में बाबूजी का स्‍थान परिवर्तित हो रहा है। आज छोटे बेटे के यहां उनका आखिर दिन था। रमन बाबू ने दुखी मन से अपना थैला जमाना शुरू कर दिया और उनके मानस पटल पर वहीं पुरानी यादें दौड़ने लगीं, किस प्रकार उनका हंसता खेलता परिवार था, चार बेटों के होने की खुशी थी परंतु आज उनका मन बहुत व्‍याकुल था।  

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