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created Aug 16th 2022, 03:06 by Shreebageshwar Academy
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नदी भूतल पर प्रवाहित होने वाली एक जलधारा हैं। जो प्राय किसी झील व हिमन्द या झरने या बारिश के पानी से बनती हैं तथा अंत में किसी सागर अथवा झील में जा मिलती हैं इसे सरिता व तटिनी भी कहा जाता हैं। प्रमुख रूप से नदियां दो प्रकार की होती हैं। इनमें पहली सदानीरा दूसरी बरसाती कहलाती हैं सदानीरा नदियां हमेशा झीलों व झरनों अथवा हिमनदों ने निकलती हैं या पैदा होती हैं और वर्ष भर जलपूर्ण रहती हैं जबकि बरसाती नदियां बरसात के पानी पर निर्भर करती हैं गंगा व यमुना तथा कावेरी और नील आदि सदानीरा नदियां हैं नदी के साथ इंसान का गहरा संबंध रहा हैं। नदियों से केवल फसल ही नहीं उपजाई जाती हैं अपितु वे एक समाज विशेष को पैदा करती हैं और फिर उसका पालन पोषण करती हैं इसलिए इंसान हमेशा नदी को देवी अथवा मां के रूप में देखता आया हैं हमारे अतीत में ऋषि व मुनियों ने इन नदियों के किनारे रहकर ही ज्ञान को पाया। अभी भी बडे़ बड़े विकसित महानगर नदियों के किनारे बसे हैा मानव प्रजाति नदियों के किनारे ही पली फूली हैं प्रकृति से विकसित एवं लगातार परिमार्जित मार्ग पर बहते पानी की अविरल धारा ही नदी हैं जिसे कई बार बरसात भी पैदा करती हैं नदियां आमतौर पर हिमनदों व पहाड़ों अथवा झरनों से निकलकर सागर अथवा झील में समा जाती हैं इस यात्रा में उसे अनके सहायक नदियां मिलती हैं नदी और उसकी सहायक नदियां मिलकर नदी तंत्र बनाती हैं जिस इलाके का सारा पानी नदी तंत्र को मिलता हैं वह इलाका जल निकास घाटी यानि वाटरशेड कहलाता है। नदी जल निकास घाटी पर बरसे पानी को एकत्रित करती है उसे प्रवाह में शामिल कर आगे बढती हैं वही उसके पानी की प्रगति का आधार होता हैं। नदी को अपनी यात्रा में बाढ के पानी के अलावा भू जल से संबंधित दो प्रकार के माहौल मिलते हैं
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