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created Aug 8th 2022, 05:24 by prayashshorthand classes


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हमारे बड़े प्राय: हमें यह शिक्षा देते हैं कि हमें सदा ईमानदार रहना चाहिए, सत्‍य का आचरण करना चाहिए, अपने कर्तव्‍य का पालन करना चाहिए तथा कमजोर गरीबों की सहायता करनी चाहिए. वस्‍तुत: ये कुछ नैतिक मान्‍यताऍं हैं, जिन्‍हें हम अपने जीवन के लिए बड़ा महत्‍वपूर्ण मानते आए हैं तथा जिनके अधिकाधिक प्रचलन के लिए हम प्रयत्‍नशील रहे हैं. हमारे द्वारा ऐसा किया जाने का कारण वस्‍तुत: यही रहा है कि हम इन नैतिक मान्‍यताओं को अपने जीवन को सुखमय बनाने का साधन मानते हैं और यह मानते हैं कि इनके बिना मानव जीवन विकृत कष्‍टमय हो जाता है, परन्‍तु इसके विपरीत संसार में जब हम देखते हैं कि असत्‍य , धोखाधड़ी तथा बेईमानी का जीवन जीने वाले दु:खी नहीं, उल्‍टे सुखी हैं; तो इस बात पर प्रश्‍नचिह्न लग जाता है कि सत्‍य, कर्तव्‍यपालन तथा ईमानदारी आदि नैतिक मान्‍यताओं को हमें अपने-अपने जीवनयापन का आधार बनाना चाहिए या नहीं; क्‍योंकि अनुभव की  बात यह है कि संसार में प्रत्‍येक व्‍यक्ति दिखावे के लिए तो सत्‍य, सच्‍चरित्रता ईमानदारी को अच्‍छा बताता है और यह कहता है कि ये हमारे जीवन के आधार होने चाहिए, परन्‍तु वास्‍विक व्‍यवहार में असंख्‍य लोग इन आदर्शें को तिलांजलि देते दिखाई देते  हैं, जब वे यह देखते हैं कि इन पर चलने से जीवन की वास्‍तविक समस्‍याएं हल नहीं हातीं तथा इनकी परवाह करने वाले लोग दुनिया में अधिक सुखमय जीवन बिताते हैं.                          
सच्‍चाई ईमानदारी को  अधिकांश लोग क्‍यों नहीं अपनाते; इस प्रसंग में बंईमानी ईमानदारी से सम्‍बन्धित एक कहानी बड़ी प्रासंगिक है. कहा  जाता है कि एक बार ईमानदारी बेईमानी किसी नदी में स्‍नान करने गईं. स्‍नान के लिए अपने-अपने कपड़े उतार कर उन दोनों ने देर तक डुबकी लगाए रहने की होड़  के साथ नदी में डुबकी लगाई. बेईमानी अपनी प्रवृत्ति के कारण जल्‍दी पानी से बाहर निकल आई और ईमानदारी के कपड़े स्‍वयं पहनकर वहाँ से चली गई. ईमानदारी जब बाद में पानी से बाहर अई और नदी के किनारे अपने कपड़ों को नहीं पाया, तो वह असमंजस में पड़ गई, क्‍योंकि बेईमानी के कपड़े पहनकर वह अपने को बंईमानी नहीं बनाना चाहती थी . ऐसी स्थिति में उसने निर्वस्‍त्र रहना ही अच्‍छा समझा. कहा जाता है कि तब से ईमानदारी नंगी ही हैं और उसके कपड़ों को बेईमानी ने पहन रखा  हैं. परिणामस्‍वरूप लोग, जो नंगेपन से बचना चाहते हैं, ईमानदारी के वस्‍त्र पहनने वाली बेईमानी को अपना लेते हैं और  जब तक उन्‍हें बेईमानी की वास्‍तविकता की पहचान हो पाती है, वे उसी के अभ्‍यस्‍त होकर रह जाते हैं; क्‍योंकि उसके सहारे लोगों की अनेक समस्‍याऍं सरलता से हल हो जाती हैं. कहानी के अनुसार यही कारण है कि ईमानदारी दुनिया में अकेली पड़ गई है और उसके अपनाने वाले बहुत कम लोग हैं, जबकि बेईमानी को अपनाने वाले और उसके साथ रहने वाले लोग असंख्‍य हैं और वे उसे बुरा नहीं वरन् अच्‍छा समझते  हैं.  

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