eng
competition

Text Practice Mode

ACADEMY FOR STENOGRAPHY, MORENA,DIR- BHADORIYA SIR TYPING MPHC DISTRICT COURT AG-3 TEST DATE 02.07.2022

created Jul 2nd 2022, 04:11 by ThakurAnilSinghBhado


0


Rating

354 words
5 completed
00:00
पिछले कुछ वर्षों में मातृभाषाओं की महत्‍ता को स्‍थपित करने की दृष्टि से सार्थक प्रयास हो रहे हैं। कई संस्‍थानों में चिकित्‍सा, विधि और अभियांत्रिकी की पढ़ाई हिंदी माध्‍यम में प्रारंभ हो गई है। आशा है कि आगामी वर्षों में ये पाठ्यक्रम अन्‍य भारतीय भाषाओं में भी उपलब्‍ध होंगे। राष्‍ट्रीय शिक्षा नीति 2020 भारतीय भाषाओं की दृष्टि से महत्‍वपूर्ण है। इस नीति के अंतर्गत प्राथमिक स्‍तर से लेकर उच्‍च शिक्षा एवं शोध तक भारतीय भाषाओं के माध्‍यम से औपचारिक पठन-पाठन को प्रोत्‍साहित करने की संस्‍तुति की गई है। उल्‍लेखनीय है कि इस नीति के अनुसार प्राथमिक स्‍तर पर पांचवी कक्षा और यदि संभव हो तो आठवीं कक्षा तक मातृभाषा के माध्‍यम से ही शिक्षा प्रदान की जाएगी। राष्‍ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की संस्‍तुतियों के अनुरूप भारतीय भाषाओं में अधिकाधिक पाठयपुस्‍तकें और बाल साहित्‍य तैयार करने की आवश्‍यकता है। हमें भारतीय भाषाओं में शिक्षण के लिए समर्थ अध्‍यापकों को तैयार करना होगा। इसके अलावा, स्‍थानीय भाषाओं के जनसंचार माध्‍यमों को भी यथोचित स्‍थान देना होगा। हमें इन भाषाओं में संचित ज्ञान कोष को शोध के माध्‍यम से उद्घाटित करना होगा और उसे औपचारिक विमर्श का अभिन्‍न अंग बनाना होगा। राष्‍ट्रीय परीक्षण एजेंसी द्वारा देश की 13 विविध भाषाओं में प्रवेश परीक्षाएं संपन्‍न कराना इस दिश में एक महत्‍वपूर्ण पहल है। प्रस्‍तावित भारतीय अनुवाद एवं निर्वचन संस्‍थान उपरोक्‍त प्रयासों में गतिशीलता लाने के साथ ही नए आयाम भी स्‍थापित करेगा। भाषा और बोली किसी भी समुदाय के ऐतिहासिक सांस्‍कृतिक विरासत, ज्ञान-परम्‍परा, सामुदायिक प्रतिभा एवं कौशल गाथा की पोषक एवं संवाहक मानी जाती हैं। इनके माध्‍यम से हम भावी एवं आगामी पीढ़ी को संपोषणीय एवं गौरवशील भविष्‍य के लिए तैयार कर सकते हैं। भारत की प्रतिष्‍ठा एक बहुभाषिक समाज के रूप में सर्वविदित है। देश के अधिकांश नागरिकों में बहुभाषी होने की क्षमता है। वे दैनिक जीवन में शिक्षण और औपचारिक-अनौपचारिक कार्यव्‍यवहार एवं जनसंचार के माध्‍यमों से विभिन्‍न भारतीय भाषाओं एवे बोलियों से परिचित होते रहते हैं। यह परिचय भारतीय भाषाओं में पारस्‍परिकता के माध्‍यम से राष्‍ट्रीय भावना को पोषित एवं पल्‍लवित करता है। हमारी बहूभाषिकता एक और व्‍यक्तिनिष्‍ठ सामाजिक सहिष्‍णुता और राष्‍ट्रीय एकता की भावना को सुदृढ़ करने में भी महत्‍वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करती है।

saving score / loading statistics ...