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बंसोड कम्‍प्‍यूटर टायपिंग इन्‍स्‍टीट्यूट मेन रोड़ गुलाबरा छिन्‍दवाड़ा मो0नं0 8982805777 प्रो.सचिन बंसोड (CPCT, DCA, PGDCA) प्रवेश प्रारंभ

created Jul 2nd 2022, 02:38 by shilpa ghorke


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देश में अब एक बार इस्‍तेमाल किए जाने वाले प्‍लास्टिक के सामान पर प्रतिबंध लग गया है। पर्यावरण को स्‍वच्‍छ बनाने के लिहाज से यह महत्‍वपूर्ण और जरूरी कदम है। लेकिन इसे लेकर अब कामयाबी तभी हासिल हो पाएगी जब इस पर सख्‍ती से अमल हो। यों इस तरह के प्‍लास्टिक के सामान पर प्रतिबंध लगाने की कवायद तो काफी समय से चल रही है। प्रधानमंत्री ने वर्ष 2019 में स्‍वतंत्रता दिवस के मौके पर उसी साल दो अक्‍टूबर से इस प्‍लास्टिक पर पाबंदी लगाने का एलान किया था। पर लगता है कि ऐसे प्रतिबंध लगाने में व्‍यावहारिक अड़चनें इतनी ज्‍यादा रहीं होंगी कि अभी तक इस दिशा में कदम नहीं बढ़ पाए। पर सरकार ने अब जिस संकल्‍प और सख्‍ती के साथ एकल उपयोग प्‍लास्टिक से बने सामान पर पाबंदी के लिए कमर कसी है, उससे इस मुद्दे को लेकर गंभीरता का पता चलता है। इस पर कड़ाई से अमल करवाने के लिए व्‍यापक तैयारियां की गई हैं। राज्‍य सरकारों को स्‍पष्‍ट निर्देश दिए गए हैं और इसमें सहयोग नहीं करने वालों के खिलाफ दंड का भी प्रावधान है। हालांकि दंड से कहीं ज्‍यादा कंपनियों, विक्रेताओं और लोगों के सकारात्‍मक रुख, सहयोग और जागरूकता से ऐसे अभियान कामयाब बनाए जा सकते हैं। इसमें कोई संदेह नहीं कि पर्यावरण और प्राणियों के लिए प्‍लास्टिक एक गंभीर संकट बन चुका है। इसने मानव जीवन में जितनी जगह बना ली है, उसे देखते हुए अब इससे पिंड छुड़ा पाना आसान नहीं है। अभी सिर्फ एक बार उपयोग होने वाले प्‍लास्टिक के सामान पर पाबंदी लगी है, जिसमें कप, प्‍लेट, चम्‍मच, ग्‍लास जैसे सामान हैं, पालिथीन की थैलियां, प्‍लास्टिक के झंडे, आइसक्रीम स्टिक, स्‍ट्रा, सजावट के लिए थर्माकोल से बना सामान आदि हैं। पाबंदी का मतलब साफ है कि अब तो ये सब सामान बनेंगे, इनका भंडार जमा होगा, ही इनका आयात होगा और ये बाजार में बेचे भी नहीं जा सकेंगे। सरकारी अमले को यह सब सुनिश्चित करना होगा। हालांकि यह काम कम चुनौती भरा नहीं है। पहले भी जब-जब प्‍लास्टिक की थैलियों पर पाबंदी लगती रही है, देखने में यही आया कि कुछ दिन तो सरकारी अमला सतर्कता दिखाता है, प्‍लास्टिक थैलियां प्रयोग करने वालों पर जुर्माने की कार्रवाई होती है और थोड़े दिन बाद ही सब कुछ पुराने ढर्रे पर लौट आता है। सब जगह प्‍लास्टिक थैलियां धड़ल्‍ले से इस्‍तेमाल होने लगती हैं। ऐसे में सवाल है कि अब इस मुहिम को कामयाब कैसे बनाया जाएगा?

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